
सर्बिया में भीड़ पर सोनिक वेपन के इस्तेमाल का आरोप, क्या है ये हथियार जो दिखे बगैर मचा देता है तबाही?
AajTak
सर्बिया में पिछले साल हुए रेलवे स्टेशन हादसे के बाद से लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लापरवाही और करप्शन के आरोपों से घिरी सरकार पर अब एक और आरोप लगा कि उसने प्रोटेस्टर्स को तितर-बितर करने के लिए खतरनाक सोनिक हथियार इस्तेमाल किए. इसका असर इतना ज्यादा होता है कि कई लोग सुनने की क्षमता ही खो देते हैं.
यूरोपीय देश सर्बिया में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. छुटपुट प्रोटेस्ट पहले से होते रहे, लेकिन पिछले साल नए बनाए रेलवे स्टेशन की छत गिरने से हुई मौतों के बाद जनता का गुस्सा और बढ़ गया. इसके बाद से लोग सड़कों पर उतरे हुए थे. हाल में ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान लोगों ने आरोप लगाया कि भीड़ को हटाने के लिए सरकार ने प्रतिबंधित सोनिक हथियारों का उपयोग किया. ये वही हथियार हैं, जिसे लेकर इतिहास में कई बार बड़े बवाल हो चुके.
15 मार्च को बेलग्रेड में एक बड़ी एंटी-करप्शन रैली के दौरान प्रोटेस्टर्स स्टेशन हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि दे रहे थे. इसी समय एक तेज आवाज सुनाई दी, जिससे अफरा-तफरी मच गई. कई लोगों ने कानों में तेज दर्द, सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत की. भीड़ ने ही आरोप लगाया कि ये असर सोनिक वेपन्स की वजह से हुआ होगा. सरकार हालांकि इस बात को खारिज करते हुए खुद ही एफबीआई और रूसी एफएसबी जैसी जांच एजेंसियों की मदद लेने का भरोसा दे रही है. इस बीच जानिए, सोनिक हथियार आखिर हैं क्या.
इसकी आवाज ही इसकी ताकत है. मान लीजिए, आप किसी शांत जगह पर बैठे हों और अचानक कानों में असहनीय दर्द उठ जाए. साथ में सिर चकराने लगे. आसपास कोई गोलीबारी नहीं हो रही, फिर भी आप एकदम असहाय हो जाते हैं. यह सोनिक हथियार हो सकते हैं. इसमें दुश्मन को बेहोश करने, दर्द देने या मतिभ्रम के लिए बेहद ताकतवर साउंड वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ सोनिक वेपन पूरे शरीर पर असर डालते हैं, जिससे बहरापन या कोई गंभीर स्थाई नुकसान भी हो सकता है.
इतिहास में कई ऐसे मौके आए, जब देशों ने एक-दूसरे पर सोनिक वेपन के उपयोग का आरोप लगाया. इसमें हवाना सिंड्रोम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा.
साल 2016 की रात क्यूबा की राजधानी हवाना में एक अमेरिकी राजदूत कानों में तेज आवाज और सिरदर्द के साथ जागा. जल्द ही वहां मौजूद सारे अमेरिकी राजदूतों का यही हाल था. सबके सब कनपटी दबाए चीख रहे थे. जांच में कुछ भी निकलकर नहीं आया, सिवाय इसके कि राजनयिक अब काम करने के लायक नहीं. रहस्यमयी बीमारी को नाम मिला हवाना सिंड्रोम. अनुमान लगाया गया कि क्यूबा शायद अमेरिका के दुश्मन देशों जैसे रूस और चीन के साथ मिलकर जासूसी कर रहा हो. इसके लिए वो उनके लोगों पर सुपरसोनिक अटैक करता हो, जिससे दिमाग पर असर पड़ने लगा.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







