
सबसे बड़ा सवाल... एलॉन मस्क के जाने के बाद अब DOGE का क्या होगा? सुधार से ज्यादा विवादों में रहा
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डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. उन्होंने शपथ लेने के बाद DOGE यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी का ऐलान किया था. इसकी कमान एलॉन मस्क को सौंपी गई थी.
अरबपति कारोबारी और टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क ने आखिरकार कई महीने की अटकलों के बाद ट्रंप सरकार को अलविदा कह दिया है. उन्होंने DOGE के प्रभारी का पद छोड़ने का ऐलान किया है. यह वही DOGE है, जिसका चीफ होने की वजह से मस्क को अमेरिका में दूसरे नंबर का ताकतवर शख्स बताया जाता रहा. लेकिन वह अपने पीछे एक सवाल छोड़ गए हैं कि उनके जाने के बाद अब DOGE का क्या होगा?
ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. उन्होंने शपथ लेने के बाद DOGE यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी का ऐलान किया था. इसकी कमान एलॉन मस्क को सौंपी गई थी. इस विभाग में नंबर दो विवेक रामास्वामी थे. लेकिन रामास्वामी ने बाद में इस पद से इस्तीफा दे दिया था.
DOGE का गठन अमेरिका में ब्यूरोकेसी को क्लीन करने के मकसद से किया गया था. ट्रंप ने इस डिपार्टमेंट को इस समय का द मैनहट्टन प्रोजेक्ट बताते हुए कहा था कि इससे चार जुलाई 2026 तक पूरी संघीय ब्यूरोक्रेसी में व्यापक बदलाव आएंगे. उन्होंने कहा था कि इस सरकार में धरातल पर काम अधिक होगा और नौकरशाही कम होगी.
इस विभाग का मुख्य काम अमेरिकी सरकार के 6.5 ट्रिलियन डॉलर की धनराशि के अनावश्यक खर्च और धोखाधड़ी को रोकना है. द मैनहटन प्रोजेक्ट दरअसल अमेरिकी सरकार का वो प्रोजेक्ट था, जिसके तहत अमेरिका ने परमाणु बम तैयार किया था.
सुधार से ज्यादा विवादों की भेंट चढ़ता रहा DOGE!
DOGE का मकसद यूं तो सराकरी खर्चों में दो ट्रिलियन डॉलर की कटौती और बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों को कम करना था. इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और पर्यावरण कार्यक्रमों पर असर पड़ा. इस मकसद को पूरा करने के चक्कर में लिए गए गलत फैसलों की वजह से बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ.

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