सतीश शर्मा: कांग्रेस का वो कैप्टन जो अमेठी-रायबरेली में संभाले रहा गांधी परिवार का 'क्राउन'!
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अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में पूर्व पीएम राजीव गांधी लेकर आए थे. कैप्टन सतीश शर्मा एक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे. जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी.
कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा का बुधवार शाम गोवा में निधन हो गया. 73 वर्षीय कैप्टन शर्मा कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे. पूर्व पीएम राजीव गांधी के 'भरत' बनकर अमेठी से रायबरेली तक गांधी परिवार की खड़ाऊं लेकर संसद की ड्योढी लांघने वाले कैप्टन सतीश शर्मा तीन बार लोकसभा और तीन ही बार राज्यसभा सदस्य भी रहे. अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में पूर्व पीएम राजीव गांधी लेकर आए थे. कैप्टन सतीश शर्मा एक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे. जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी. हालांकि, राजीव गांधी ने सियासत में अपने भाई संजय गांधी के निधन के बाद कदम रख दिया था, लेकिन कैप्टन सतीश शर्मा पायलट की नौकरी में ही लगे रहे.राजकोट के टीआरपी गेमजोन में लगी आग से 28 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. मृतकों के शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान तक मुश्किल थी. ऐसे में गेमजोन के एक मालिक की जलकर मौत होने का दावा किया गया था. इसके लिए मिले अवशेषों के डीएनए सैंपल का मिलान गेम जोन के मालिकों की मां से किया गया. इसमें से एक सैंपल मैच हुआ है. इससे यह पुष्टि की गई कि मालिक प्रकाश हिरन की भी जलकर मौत हो गई थी.
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.