संसद में कब तक होगी राहुल गांधी की वापसी, कैसा है लोकसभा-विधानसभा में सदस्यता बहाली का इतिहास?
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राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली कब होगी, सुप्रीम कोर्ट से उनकी सजा पर रोक लगने के बाद ये बड़ा सवाल बनकर उभरा है. कांग्रेस चाह रही है कि आने वाले सोमवार तक ही उनकी सदस्यता बहाल हो जाए. लेकिन, राहुल गांधी की सांसदी बहाली की राह इतनी आसान दिख नहीं रही है.
मोदी सरनेम केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को राहत मिली. शनिवार को पूरे दिन ये चर्चा आम रही कि आखिर राहुल गांधी की संसद में वापसी कब तक होगी? इस सवाल को कांग्रेस की शुक्रवार को हुई पीसी में ही हवा दी गई थी, जब कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये कहा कि देखते हैं कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली कब तक होती है. उनका ये कहना भर था कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठा लिया और फिर लगातार सवाल तो कर ही रहे हैं, साथ ही केंद्र सरकार पर इस मामले में बेवजह देरी के आरोप भी लगा रहे हैं.
कब सदन पहुंचेंगे राहुल गांधी? सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के साथ ही यह तय हो गया था कि उनकी संसद सदस्यता की बहाली का रास्ता अब साफ है. यानी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी फिर से एक सांसद की हैसियत से सदन में पहुंचेंगे और सत्ता के साथ मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इसके साथ ही यह भी कयास लगाए जाने लगे कि वह अब अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा भी सदन में कर सकते हैं, उसका हिस्सा बन सकते हैं, जिसकी चर्चा 8 अगस्त को शुरू होने वाली है.
क्यों आसान नहीं है राह? लेकिन, राहुल गांधी की सांसदी बहाली की राह इतनी आसान दिख नहीं रही है. नया-नया बना I.N.D.I.A गठबंधन भी चाह रहा है कि जल्द से जल्द राहुल गांधी की सदन में वापसी हो. कांग्रेस तो इसके लिए पुरजोर कोशिश तो कर ही रही है, लेकिन उसकी कोशिश किसी भी कोने से सफल होती नहीं दिख रही है तो आरोप लग रहे हैं कि बीजेपी और केंद्र सरकार यानी सत्ता पक्ष जानबूझ कर इस मामले में देरी कर रहा है. लेकिन इससे पहले ये बता दें कि राहुल गांधी पहले ऐसे नेता हैं जिनकी सांसदी मानहानि जैसे मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद गई है.
कांग्रेस अमला इस मामले में तेजी चाह रहा है और सोमवार या मंगल तक ही उनकी सदन में वापसी चाह रहा है, लेकिन सदस्यता जाने के अन्य मामलों के इतिहास को भी देखें तो अभी तक के अधिकतर हालिया मामलों में ऐसा नहीं दिखता कि किसी भी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द हुई और उनकी बहाली दोषमुक्त होने के बाद तुरंत ही कर दी गई हो. हालांकि यह जरूर देखा गया है, किसी भी सांसद-विधायक के दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सदस्यता जरूर तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है.
इसके कुछ उदाहरण यहां देखे जा सकते हैं. जैसे- कालका विधायक प्रदीप चौधरी
मसलन, हरियाणा में कालका विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को हिमाचल प्रदेश के बद्दी की एक अदालत ने 28 जनवरी 2021 को तीन साल की सज़ा सुनाई थी. कोर्ट ने 2011 में एक युवक की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश के बद्दी चौक पर जाम लगाने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में उन्हें दोषी ठहराया था. 30 जनवरी 2021 को हरियाणा विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. मामले में 19 अप्रैल 2021 को हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाई, लेकिन इसके तकरीबन 1 महीने बाद 20 मई 2021 को उनकी सदस्यता बहाल हुई थी.
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