शरद पवार पर टिप्पणी करने वाले छात्र को नहीं मिलेगी जमानत, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
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निखिल भामरे पर कथित रूप से एक ट्वीट करने का आरोप है, जिसमें लिखा गया है कि बारामती के गांधी के लिए बारामती का नाथूराम गोडसे बनाने का समय आ गया है. पुणे जिले का बारामती शरद पवार का गृह क्षेत्र है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 वर्षीय फार्मेसी छात्र निखिल भामरे को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया है. निखिल पर एनसीपी चीफ शरद पवार के खिलाफ आपतिजनक सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज कराया गया था. मामले में जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने कहा कि किसी के पास जो भी अधिकार हैं, वे प्रतिबंधों के अधीन हैं. सभी को मौलिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. आपके पास एक अधिकार है, लेकिन आप किसी और के शांतिपूर्ण जीवन के अधिकार को खतरे में नहीं डाल सकते हैं.
भामरे ने 11 मई को बारामती (पवार के निर्वाचन क्षेत्र) के एक नेता के बारे में ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर किया था. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने भामरे के ट्वीट के बारे में एक पोस्ट शेयर किया था और मुंबई पुलिस को टैग करते हुए, ठाणे पुलिस और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से कार्रवाई करने के लिए कहा था. मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'यह सब किस स्तर पर हो रहा है... इस आदमी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.' जिसके बाद इस मामले में ठाणे के नौपाड़ा पुलिस स्टेशन, नासिक के डिंडोरी पुलिस स्टेशन, मुंबई के गोरेगांव पुलिस स्टेशन और पुणे के साइबर और देहू रोड पुलिस स्टेशन में पांच प्राथमिकी दर्ज की गईं. सोमवार को मामले में सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस शिंदे ने भामरे के प्रोफाइल चेक की और कहा कि आरोपी की उम्र ऐसी है कि ऐसी उम्र में कुछ लोग जिम्मेदार हो जाते हैं, अन्य नहीं. अधिवक्ता सुभाष झा ने बताया कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में एक छात्र के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की जा रही हैं, यह मौलिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है.
इस पर, जस्टिस शिंदे ने कहा कि मौलिक अधिकार हमेशा कुछ प्रतिबंधों के अधीन होता है. कोई भी अधिकार पूर्ण नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वह औपचारिक नोटिस जारी करेगी और उन्हें जवाब देने के लिए समय देगी. लेकिन जब झा ने यह कहते हुए विरोध किया कि छात्र को कम से कम जमानत दी जानी चाहिए, तो इस पर जस्टिस शिंदे ने कहा, 'पहली सुनवाई में आप सब कुछ उम्मीद करते हैं?' वहीं सरकारी वकील केवी सास्ते ने कहा कि मामले में अभी जांच चल रही है और शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी करने को कहा है.
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