'लोगों की सांसों पर राजनीति न करें', दिल्ली के मंत्री गोपाल राय का LG पर निशाना
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पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले दो सालों से 'रेड लाइट, आन गाड़ी आफ' अभियान चलाया जा रहा था. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बार दिल्ली के उपराज्यपाल इस जन जागरूकता अभियान को किसी भी कीमत पर शुरू नहीं करने देना चाहते हैं. उपराज्यपाल दिल्ली के लोगों के सांसों के साथ राजनीति कर रहे हैं.
दिल्ली के अंदर बढ़ते प्रदूषण को रोकने के दिल्ली सरकार बहुत सारे कदम उठा रही है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अंदर ग्रेप सिस्टम को लागू किया है और एंटी डस्ट कैम्पेन चलाया जा रहा है. बायोमास वर्निग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं और पराली से निपटने के लिए बायो डी-कम्पोजर का छिड़काव किया जा रहा है. इस बीच पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले दो सालों से 'रेड लाइट, आन गाड़ी आफ' अभियान चलाया जा रहा था. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बार दिल्ली के उपराज्यपाल इस जन जागरूकता अभियान को किसी भी कीमत पर शुरू नहीं करने देना चाहते हैं. उपराज्यपाल दिल्ली के लोगों के सांसों के साथ राजनीति कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कल तारीखों का बहाना बनाया गया और कहा गया कि एक सप्ताह छुट्टीयां थीं. लेकिन एलजी साहब की मंशा तो इस अभियान को रोकने की थी. कल तक वे कह रहे थे कि इस फाइल में 31 अक्टूबर की तारीख लिखी हुई है. इसलिए फाइल अभी नहीं किया है, लेकिन आज उन्होंने फाइल वापस भेज दी और कहा है कि इसे फिर से सबमिट करिए. इसका सीधा सा मतलब है कि अब रेड लाइट ऑन गाड़ी आफ अभियान 31 तारीख से शुरू नहीं हो पाएगा. आज बहाना बनाया गया कि पिछले सालों में जब यह अभियान चलाया गया तब इस अभियान का क्या प्रभाव पड़ा, उसका अध्ययन नहीं कराया गया. जब दिल्ली सरकार ने इस अभियान को 2020 में पहली बार चलाया 21 अकटूबर से 21 नवम्बर तक, 2021 में 18 अक्टूबर से 19 नवम्बर तक चलाया गया, तब सारी चीजों को समझकर ही इसको चलाया गया था.
रेड लाइटों पर पेट्रोल-डीजल बर्बाद होता है
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के अंतर्गत सीएसआईआर एक संस्था आती है. सीएसआईआर के तहत आने वाली संस्था केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थानक (सीआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने 2019 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें यह अनुमान लगाया गया था कि दिल्ली में जो 960 रेड लाईट सिग्नल हैं, उस पर 9036 लीटर पेट्रोल/डीजल/एलपीजी और 5461 लीटर सीएनजी प्रतिदिन बर्बाद होता है. इसी प्रकार अर्बन एबीसन उसने पुणे के अंदर ट्रैफिक सिग्नल पर प्रदूषण का रिसर्च किया था और उनके अनुसार पुणे रेड लाइटों पर 17 हजार टन से ज्यादा पीएम 10 उत्सर्जित होता है. दिल्ली में तो पुणे से 4 गुना ज्यादा वाहन है और इस आधार पर देखे तो दिल्ली में रेडलाईट पर 60 से 70 हजार टन पीएम 10 उत्सर्जित होता है, जो हम बेवहज जलाते हैं.
उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य यह था कि दिल्ली के अंदर बेवजह जो 60 से 70 हजार टन पीएम 10 उत्सर्जित होता है, उसे कम किया जाए. दिल्ली में हम बहुत से अभियान चला रहे हैं. हम पूरे दिल्ली में पानी का छिड़काव कर रहे हैं. अब एलजी साहब कहेंगे कि पहले यह बताओं कि छिड़काव का क्या प्रभाव होता है नहीं तो हम पानी का छिड़काव नहीं होने देंगे. दिल्ली के अंदर जब सीवियर कंडीशन होती है तो कंस्ट्रक्शन बंद किए जाते है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ग्रेप लागू किया जाता है.
'एलजी साहब कहेंगे पहले रिसर्च करो'
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