लोकल क्रिप्टोकरेंसी, फेक वेबसाइट, ढाई लाख फर्जी ID... 1000 पुलिसवालों से ठगी के मास्टरमाइंड ने ऐसे बिछाया था जाल
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पकड़े गए सभी आरोपी फर्जी निवेश योजनाओं के ज़रिए पीड़ितों को लुभाने के काम में शामिल थे. धोखाधड़ी का शिकार होने वाले लाखों लोगों में प्रदेश के एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. कई पुलिसवाले तो VRS लेकर केवल इसी काम में जुट गए थे.
हिमाचल प्रदेश में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी किए जाने के मामले में विशेष जांच टीम (SIT) ने सात और लोगों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए सभी आरोपी फर्जी निवेश योजनाओं के ज़रिए पीड़ितों को लुभाने के काम में शामिल थे. धोखाधड़ी का शिकार होने वालों में प्रदेश के एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. कईं पुलिसवाले तो वीआरएस लेकर केवल इसी काम में जुट गए थे.
हिमाचल के पुलिस मुख्यालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि सभी आरोपियों ने इस धोखाधड़ी के मामले में अलग-अलग भूमिका निभाई है. सभी आरोपियों ने बैक-एंड ऑफिस गतिविधियों और डेटाबेस मैनेजमेंट, कम्यूनिकेशन कॉ-ऑरडिनेशन, टेक्निकल सपोर्ट देने, वित्तीय लेनदेन का प्रबंधन करने और मनी फ्लो को संभालने का काम किया.
हाल ही में पकड़े गए आरोपियों को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पीएचक्यू (PHQ) ने अपने बयान में कहा है कि इस मामले की जांच का मकसद अब सबूत इकट्ठा करना और घोटाले में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा करना और पैसे के लेन-देन से जुड़े सुरागों का पता लगाना है.
पुलिस ने बताया कि एक आरोपी को छोड़कर सभी हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. आरोपियों की पहचान हमीरपुर निवासी अमित प्रदीप सिंह, कांगड़ा निवासी गोविंद गोस्वामी, मंडी निवासी संजय कुमार, केवल सिंह, दिग्विजेंदर सिंह, पारस राम सेन और हरियाणा के पंचकुला निवासी राधिका शर्मा के तौर पर हुई है.
घोटालेबाजों ने कम समय में अच्छे रिटर्न का वादा करके भोले-भाले लोगों को लुभाया और निवेशकों का एक नेटवर्क बनाया. इसमें तीन से चार प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया गया और झूठी वेबसाइटें बनाई गईं, जिनमें क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर किया गया और उन्हें बढ़ाया गया.
फेक क्रिप्टोकरेंसी की फर्जी वेबसाइट हिमाचल पुलिस के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को धोखा दिया है. पुलिस ने 2.5 लाख आईडी बरामद किए हैं, जो एक ही शख्स के हैं. निवेशकों को आकर्षित करने के लिए घोटालेबाजों ने दो क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च कीं. एक थी 'कोरवियो कॉइन' (या केआरओ) और दूसरी 'डीजीटी कॉइन,' इन डिजिटल मुद्राओं की कीमतों में हेरफेर करके नकली वेबसाइटें बनाईं गईं.
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