
लद्दाख को लेकर क्या हैं दो मुख्य मांगें, जिन पर सोनम वांगचुक दिल्ली तक प्रोटेस्ट करने आ पहुंचे
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साल 2019 के बाद से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है. पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली चलो पदयात्रा शुरू की थी.
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के 130 लोगों को दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया है. आंदोलनकारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 700 किमी लंबी पदयात्रा पूरी करने जा रहे थे. सोनम वांगचुक देर रात जैसे ही हरियाणा से दिल्ली में दाखिल हुए तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया. पुलिस का कहना था कि यहां उत्तरी और मध्य दिल्ली समेत कई इलाकों में BNNS की धारा 163 लागू की गई है, जिसके तहत 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ जमा होने पर पाबंदी है. निषेधाज्ञा 5 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी.
हालांकि, मार्च में हिस्सा लेने वाली महिलाओं को हिरासत में नहीं लिया गया है. 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा किया जा रहा है, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ संयुक्त रूप से चार साल से आंदोलन चला रहा है.
जानिए क्या हैं वो चार डिमांड्स
दरअसल, साल 2019 के बाद से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है. पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली चलो पदयात्रा शुरू की थी. वे लगातार लद्दाख के मुद्दों, लेह और कारगिल से जुड़ी मांगों को उठा रहे हैं. वांगचुक का कहना है कि अब तक केंद्र सरकार मामले को लटकाए हुए है.
- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. - संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए. - लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया हो. - लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें घोषित की जाएं.
इससे पहले इसी साल मार्च में भी सोनम वांगचुक ने 21 दिनों का अनशन किया था. तब उन्होंने सिर्फ नमक और पानी पीकर अनशन किया था. वांगचुक ने सरकार पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण देने का वादा तोड़ने का आरोप लगाया था.

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