
रूस से तेल खरीद पर अब भारत को नहीं हो रहा बहुत फायदा, ये है वजह
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यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत ने भारी मात्रा में रूसी तेल की खरीद शुरू की है. पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस भी भारत को तेल पर भारी डिस्काउंट दे रहा है लेकिन अब इसमें भारी कमी आई है. भारतीय रिफाइनरियों को अब रूसी तेल की खरीद से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीददार बन गया क्योंकि रूस ने उसे रियायती दरों पर तेल बेचा. भारतीय रिफाइनरियों को भी रियायती रूसी तेल से बड़ा लाभ हुआ लेकिन अब स्थिति बदल रही है. रूस भारत को सस्ता तेल तो दे रहा है लेकिन उस तेल की शिपिंग दरें सामान्य से दोगुना अधिक चार्ज कर रहा है. इस कारण भारत की रिफाइनरियों को रूसी तेल से मिलने वाला लाभ काफी कम हो गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों ने बताया कि तेल की शिपिंग के लिए रूसी संस्थाएं जितना चार्ज कर रही हैं, वो अपारदर्शी और सामान्य से काफी अधिक हैं.
मामले के जानकार तीन सूत्रों ने बताया कि रूस भारत की रिफाइनरियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से रूसी तेल पर लगाए गए प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर तेल बेचता है. लेकिन बाल्टिक और काला सागर से पश्चिमी तट तक डिलीवरी के लिए 11 अमेरिकी डॉलर से 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के बीच चार्ज करता है, जो सामान्य दर से दोगुना है.
रूसी तेल की शिपिंग लागत बेहद अधिक
रूसी बंदरगाहों से भारतीय बंदरगाहों तक शिपिंग लागत 11-19 डॉलर प्रति बैरल है जो कि इतनी ही दूरी की शिपिंग लागत से काफी अधिक है. पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, रूसी तेल पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था और धीरे-धीरे इसे खरीदना बंद कर दिया था.
रूस ने इसे देखते हुए अपना कच्चा तेल यूराल, ब्रेंट (कच्चे तेल का वैश्विक बेंचमार्क) से कम कीमत पर बेचना शुरू कर दिया था. भारत ने भी भारी मात्रा में रूसी कच्चा तेल खरीदना शुरू किया जो अब तक जारी है.

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