
रूस को लेकर मोदी सरकार के साथ आया इंडोनेशिया, कही ये बात
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इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने 2014 में अपने-अपने देशों में सत्ता संभाली थी. एक तरफ जहां विडोडो सोलो शहर के मेयर थे. वहीं, मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री थे. विडोडो कहते हैं कि हमारे पिछले रिकॉर्ड की वजह से हम दोनों के बीच कुछ समानताएं हैं.
इंडोनेशिया की राजधानी बाली में इस साल नवंबर में G-20 सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें कई वैश्विक नेता शिरकत करेंगे. इस सम्मेलन से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो खुद को वैश्विक शांतिदूत के तौर पर पेश कर रहे हैं.
विडोडो ने 'द हिंदू' को दिए इंटरव्यू में रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई मौजूदा वैश्विक घटनाक्रमों पर बात की. उन्होंने रूस पर भारत और इंडोनेशिया के रुख का भी समर्थन किया.
इंडोनेशिया की तरह भारत ने भी यूक्रेन हमले को लेकर रूस की निंदा से परहेज किया है और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया. ऐसे में क्या G-20 में ऐसे देशों के लिए भी जगह है, जिनकी रूस, यूक्रेन हमले को लेकर गुटनिरपेक्ष स्थिति है? इस सवाल के जवाब में विडोडो ने कहा, "हम सभी को एक साथ बैठना चाहिए, फिर चाहे आप किसी भी ब्लॉक या गुट के हो. सबसे जरूरी यह है कि हमें अपने अहं को कम कर मानवता को बचाने, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मामलों को प्राथमिकता देने की जरूरत है."
पिछले महीने जर्मनी में प्रधानमंत्री मोदी से विडोडो की मुलाकात और G-20 में दोनों नेताओं के सहयोग के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के दौरान हमने अर्थव्यवस्था, निवेश सहित द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक बातचीत की थी. हमने खाद्य तेल के भारतीय आयात पर भी चर्चा की. मैंने उन्हें बताया था कि हमने मई में इससे प्रतिबंध हटा दिए थे ताकि दुनियाभर में ताड़ के तेल के वितरण को बहाल किया जा सके.
पीएम मोदी और विडोडो के बीच समानताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विडोडो दोनों 2014 में अपने-अपने देशों में सत्ता में आए थे. एक तरफ जहां विडोडो सोलो शहर के मेयर थे. वहीं, मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री थे. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच समानताओं के बारे मे पूछने पर विडोडो ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारे पिछले रिकॉर्ड की वजह से हम दोनों के बीच कुछ समानताएं हैं.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







