
रूस की सोफिया बस गईं वृंदावन में, भारतीय लड़कों को लेकर की ये शिकायत
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वृंदावन में आठ साल से रह रहीं रूस की सोफिया ने जब भागवत गीता का पाठ किया तो उन्हें जीवन का मतलब समझ आया. जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या का विचार छोड़ा और अपने दिल में भारतीय संस्कृति को पूरी तरह उतार लिया. आज जब सोफिया हिंदी बोलती हैं तो पहचानना मुश्किल हो जाता है कि वे किसी दूसरे देश की हैं.
कृष्ण नगरी वृंदावन की गलियों में किसी आम भारतीय लड़की की तरह टहलने वालीं रूस की सोफिया दिखने में बेशक यहां के लोगों से अलग हैं, लेकिन उनके दिल में पूरी तरह गिरधर गोपाल बसे हैं. उनकी हिंदी भी इतनी साफ है कि जिससे बात करें, उसका मन मोह लें. इंडियन क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग लेने भारत आईं सोफिया को भगवत गीता से बेहद लगाव है.
यहां तक कि सोफिया का कहना है कि भगवत गीता की वजह से ही वो आज जिंदा हैं. एक समय तो वे जीने की वजह ही नहीं समझ पा रही थीं, फिर उन्होंने गीता को पढ़ा और जिंदगी का अर्थ समझ आ गया.
रूस में ही पढ़ ली थी भगवत गीता एक यूट्यूबर गौतम खट्टर को दिए इंटरव्यू को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करते हुए सोफिया ने बताया कि जब वह रूस में थी, तभी उन्होंने भगवत गीता को पढ़ लिया था. पढ़ने के बाद लगा कि उन्हें जिंदगी से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल गए हैं. गीता को पढ़ने से पहले वे जिंदगी के कई सवालों की तलाश में थीं, लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हो रहा था.
एक समय जीना नहीं चाहती थीं सोफिया सोफिया ने बताया कि जब वह 13-14 साल की थीं तो उन्हें अपनी जिंदगी नहीं चाहिए थी, वह जिंदा ही नहीं रहना चाहती थीं. इस बारे में उन्होंने अपने माता-पिता से बात की और उनसे पूछा 'मैं क्या करूंगी जीने के बाद, जब आखिरकार मरना ही है.'
उस दिन के बाद से सोफिया जिंदगी के उलझे हुए सवालों को सुलझाने की कोशिश में लगी हुई थीं. सोफिया ने बताया कि भगवत गीता को पढ़ने के बाद उनका दिमाग शांत हुआ और उन्हें जो सवालों के जवाब ढूंढ रही थीं, वो मिल गए.
सोफिया को कैसे आई इतनी अच्छी हिंदी? सोफिया ने बताया कि भगवान की कृपा और मेहनत से उन्होंने अच्छी हिंदी सीखी. सोफिया ने बताया कि जब वृंदावन में डांस क्लास जॉइन की तो वहां सब हिंदी में बात करते थे. उन्हीं को देखते हुए सोफिया की भी हिंदी समय के साथ अच्छी होती चली गई.

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