
राहुल गांधी पार्टी में 'लंगड़े घोडे़' ढूंढ रहे हैं, कांग्रेस शशि थरूर को किस कैटगरी में रखेगी?
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राहुल गांधी का संगठन सृजन अभियान भले ही गुजरात के बाद मध्य प्रदेश पहुंचा हो, लेकिन असली जरूरत उनके अपने इर्द-गिर्द के ‘लंगड़े घोड़ों’ को पहचानने की है. खासतौर पर ये जानने की कि कौन वास्तव में कांग्रेस का हित चाहता है, और कौन चापलूसी कर रहा है.
माफी मांगना बड़ी हिम्मत की बात होती है. और, गलती स्वीकार करने के लिए भी हिम्मत होनी चाहिये. किसी और की गलती स्वीकार करना, और उसके लिए माफी मांगना तो और भी ज्यादा हिम्मत की बात होती है, बशर्ते मंशा सिर्फ सियासी न हो. गलती कबूल करना महज मौके की नजाकत न हो.
हाल फिलहाल राहुल गांधी को समाज के कई तबकों से माफी मांगते देखा गया. कांग्रेस से 90 के दशक में गलतियां हुईं, स्वीकार करते देखा गया, लेकिन वे गलतियां जिनकी वजह से कांग्रेस पार्टी को नुकसान होता हो, उसके लिए कौन माफी मांगेगा? और कौन गलती स्वीकार करेगा?
अब तो राहुल गांधी कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान चला रहे हैं. एक तरीके से शुरुआत गुजरात से हुई थी. घोड़े की कहानी से. वो अभियान मध्य प्रदेश तक पहुंच चुका है. अघोषित तौर पर ये काम बिहार में भी हुआ है. लेकिन, कुछ वैसा नहीं हुआ है, जैसा गुजरात में पहले राहुल गांधी, और बाद में मल्लिकार्जुन खड़गे बता रहे थे. गुजरात में घोषणा जरूर हुई, लेकिन एक्शन का अभी नहीं पता. मध्य प्रदेश का तो ताजातरीन मामला है.
घोड़ों का किस्सा सुनाते हुए राहुल गांधी ने किस्सा सुनाया था. गुजरात वाले किस्से में राहुल गांधी ने एक घोड़ा और जोड़ दिया है - लंगड़ा घोड़ा.
राहुल गांधी का कहना है, लंगड़े घोड़े को रिटायर करना है. राहुल गांधी जिन घोड़ों को रिटायर करने की बात करते हैं, उनके बारे में वो मानते हैं कि वे बीजेपी के लिए काम करते हैं. जैसे मुखबिर होते हैं.
मुश्किल ये है कि जिस तरह के घोड़ों की बात राहुल गांधी राज्यों में जाकर कर रहे हैं, वैसे तो उनके आस पास भी भरे पड़े होंगे. जैसे चिराग तले अंधेरा होने की संज्ञा दी जाती है - क्या राहुल गांधी को नहीं लगता कि संगठन सृजन अभियान तो राज्यों से पहले अपने इर्द गिर्द चलाना जरूरी है.

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