
राजपूत वोटों का गणित, पालाबदल का इनाम... कभी लालू के खास रहे आनंद मोहन के नीतीश खेमे में आने के मायने
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चेतन आनंद ने नीतीश सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान ही पाला बदल लिया था. अब लवली आनंद भी जेडीयू में शामिल हो गई हैं. कभी लालू यादव के खासमखास रहे आनंद मोहन की फैमिली के नीतीश खेमे में आने के क्या मायने हैं?
लोकसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और विपक्षी इंडिया ब्लॉक, दोनों ही खेमे एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए रणनीतिक तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. तिनका-तिनका जुटाया जा रहा है, एक-एक परसेंट वोट की जुगत में नेताओं और सियासी दलों को साधने की कोशिशें भी की जा रही हैं.
बिहार की सियासत के दो माहिर खिलाड़ियों जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रमुख नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू यादव के बीच भी यह जंग अब दिलचस्प हो चली है. कभी लालू यादव के खासमखास रहे आनंद मोहन का परिवार अब जेडीयू में शामिल हो गया है.
पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. लवली आनंद के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. उनके बेटे चेतन आनंद विधायक हैं. आरजेडी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए चेतन ने जेडीयू के फिर से एनडीए में लौटने के बाद नीतीश सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान पाला बदल लिया था. सुशासन बाबू नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और एनडीए के लिए आनंद फैमिली क्यों जरूरी है? अब चर्चा इसे लेकर भी शुरू हो गई है.
एनडीए के लिए क्यों जरूरी आनंद फैमिली
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और एनडीए की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सूबे की सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. 'अबकी बार, चार सौ पार' का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरे एनडीए के सामने हिंदी बेल्ट में अपना किला बचाए रखने की चुनौती है और इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गठबंधन छोटे-छोटे वोट ब्लॉक्स को टारगेट कर रहा है.
नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी जैसे सहयोगियों के सहारे बीजेपी अलग-अलग जातियों को साधने की कोशिश में थी लेकिन चर्चा उसके राजपूत पॉलिटिक्स की पिच पर लालू की पार्टी से पिछड़ने को लेकर भी हो रही थी. आरजेडी के पास आनंद फैमिली थी ही, जेल में बंद चल रहे प्रभुनाथ सिंह और जगदानंद सिंह जैसे कद्दावर चेहरे भी हैं.

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