
ये देश नहीं, जन्नत है… हार्वर्ड ग्रेजुएट ने बताया, अमेरिका में नहीं भारत में क्यों करना चाहती हैं काम
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुकीं चार्मी कपूर ने बताया कि बेहतर सुविधाओं और ज्यादा कमाई के बावजूद वह अमेरिका के बजाय भारत में रहना पसंद करती हैं. उनके अनुसार भारत में परिवार, समाज, अपनापन, योगदान का अवसर और संघर्ष से मिलने वाली सीख जीवन को ज्यादा महत्वपूर्ण बनाती है.
अक्सर लोग मानते हैं कि अगर किसी को अमेरिका जैसे देश में रहने का मौका मिले तो वह भारत छोड़ देगा. लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी एक भारतीय महिला ने बताया है कि ज्यादा पैसा और बेहतर सुविधाएं होने के बावजूद वह अमेरिका के बजाय भारत में रहना क्यों पसंद करती हैं. हार्वर्ड से पढ़ाई कर चुकीं भारतीय महिला चार्मी कपूर ने सोशल मीडिया पर बताया कि वह अमेरिका के बजाय भारत में रहना ज्यादा बेहतर मानती हैं.
भारत में है परिवार, समाज और अपनापन चार्मी ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि भारत और अमेरिका में से कौन-सी जगह रहने के लिए बेहतर है. दोनों देशों में रह चुकी चार्मी ने अपने अनुभव शेयर किए हैं. चार्मी कपूर फिलहाल रेजरपे में एसोसिएट डायरेक्टर ऑफ डिजाइन के पद पर काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, ज्यादा पैसा और ज्यादा आजादी जरूर है, लेकिन भारत में परिवार, समाज और अपनापन है. चार्मी का कहना है कि भारत में रहकर उन्हें हर दिन आभार महसूस करने का मौका मिलता है.
यहां बाहर निकलते ही ऐसे लोग दिख जाते हैं जो बहुत कम संसाधनों में जीवन जी रहे होते हैं- जैसे ऑटो चालक, सिक्योरिटी गार्ड, सफाई कर्मचारी और सड़क किनारे सामान बेचने वाले लोग. इन्हें देखकर इंसान अपने जीवन के लिए खुद-ब-खुद आभारी महसूस करता है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में जिंदगी बहुत आरामदायक है, लेकिन वहां लोग अक्सर और ज्यादा पाने की चाह में रहते हैं. कभी-कभी सब कुछ होने के बाद भी मन को शांति नहीं मिलती.
भारत के लोग सहयोग में आगे भारत में रहने का दूसरा बड़ा कारण यहां के लोगों का सहयोग है. चार्मी ने कहा कि भारत एक ऐसा समाज है जहां लोग बिना ज्यादा सवाल किए मदद के लिए आगे आ जाते हैं. पड़ोसी, जान-पहचान वाले और यहां तक कि अजनबी भी मदद करने को तैयार रहते हैं, जिससे मन को सुकून मिलता है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में सिस्टम बहुत अच्छे और व्यवस्थित हैं, लेकिन वहां लोगों के बीच दूरी ज्यादा होती है. वहां आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया जाता है, जिससे कई बार इंसान को अकेले ही सब कुछ संभालना पड़ता है.
भारत में योगदान का महत्व चार्मी का कहना है कि भारत में समस्याएं ज्यादा हैं, लेकिन यही वजह है कि यहां किया गया छोटा सा काम भी बड़ा असर डाल सकता है. उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम में कई कमियां हैं, इसलिए सुधार की बहुत गुंजाइश है. उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकारी स्कूलों के सिलेबस को बेहतर बनाने के एक प्रोजेक्ट पर काम किया और आज उसका इस्तेमाल हो रहा है. यह जानकर उन्हें बहुत संतोष मिलता है कि उनका काम सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रहा है.
संघर्ष से मिलने वाली ताकत चार्मी के अनुसार, भारत में रहकर इंसान मजबूत बनता है. यहां बचपन से ही सिखाया जाता है कि मेहनत जरूरी है और सफलता की कोई गारंटी नहीं होती. सिस्टम में खामियां होती हैं, चीजें देर से होती हैं, लेकिन इससे हालात के हिसाब से ढलना सीखने को मिलता है.उन्होंने कहा कि भारत में जब कोई समस्या आती है, तो लोग हार नहीं मानते बल्कि दूसरा रास्ता ढूंढते हैं। यही सोच जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है.चार्मी कपूर का मानना है कि सुविधाओं से भरा जीवन ही सब कुछ नहीं होता। परिवार, समाज, योगदान और संघर्ष से मिलने वाली सीख भारत को उनके लिए खास बनाती है.

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