यूपी-बिहार में हर 10 में से 3 लोग 'बेहद गरीब', दिन के 32 रुपये भी खर्च नहीं कर पाते
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लोकसभा में सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. गांव में रहने वाला व्यक्ति हर दिन 26 और शहरी व्यक्ति 32 रुपये भी खर्च नहीं कर पा रहा, तो वो गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है.
जब भारत आजाद हुआ था, तब यहां की करीब 80 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी. आजादी के 75 साल बाद गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाली आबादी घटकर 22 फीसदी पर आ गई है. लेकिन, अगर इसे नंबर में देखा जाए तो कोई खास फर्क नहीं आया है. आजादी के समय 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, अब भी 26.9 करोड़ लोग गरीब हैं.
ये आंकड़ा सरकार ने लोकसभा में दिया है. लोकसभा में गरीबी रेखा से जुड़े सवाल पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जवाब देते हुए बताया कि देश की 21.9% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. ये आंकड़े 2011-12 के हैं. क्योंकि, उसके बाद से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या का हिसाब नहीं लगाया गया है.
सरकार ने गरीबी रेखा की परिभाषा भी बताई है. इसके मुताबिक, गांवों में अगर कोई हर महीने 816 रुपये और शहर में 1000 रुपये खर्च कर रहा है, तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं आएगा. देश में अभी भी करीब 22 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, यानी 100 में से 22 लोग ऐसे हैं जो महीने के हजार रुपये भी खर्च नहीं कर पाते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाली सबसे ज्यादा आबादी छत्तीसगढ़ की है. यहां करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल, बिहार, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां की 30% या उससे ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीती है. यानी, इन राज्यों में हर 10 में से 3 लोग गरीबी रेखा से नीचे आते हैं.
कब से रखा जा रहा गरीबी का हिसाब-किताब?
एक अनुमान के मुताबिक, आजादी के वक्त देश में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, जो उस वक्त की आबादी का 80% होता है.
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