
यूक्रेन में नहीं हो रहा सालों से चुनाव, क्या वाकई तानाशाह हो चुके राष्ट्रपति जेलेंस्की, या कोई और वजह?
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रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म तो नहीं हुई, बल्कि लड़ाई रोकने की बात कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी जुबानी युद्ध में उलझ पड़े. हाल में उन्होंने यूक्रेन के लीडर वलोडिमिर जेलेंस्की पर तानाशाही का आरोप लगा दिया. ट्रंप कीव में स्थगित चुनावों को लेकर यूक्रेनी नेता को घेर रहे हैं. वहीं लोकप्रियता पर हुआ ताजा सर्वे कुछ और ही कहता है.
डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन और रूस के बीच तीन सालों से चली आ रही लड़ाई को रोकने का जिम्मा लिया तो, लेकिन मामला कुछ अलग ही मोड़ लेता दिख रहा है. ट्रंप न केवल मॉस्को के साथ दिख रहे हैं बल्कि कीव को लताड़ भी रहे हैं. अब उन्होंने यूक्रेन में चुनाव न होने को लेकर वहां राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की को तानाशाह कह दिया. इस देश में पिछले 6 सालों से इलेक्शन नहीं हो सके. लेकिन युद्धरत देशों में यह कितना आम है?
जेलेंस्की को लेकर क्या कहा ट्रंप ने रूसी हमले के बाद जेलेंस्की ने शायद सोचा हो कि इससे ज्यादा बुरा कुछ नहीं होगा, लेकिन इस लीडर के हिस्से अभी और मुश्किलें आनी बाकी थीं. वाइट हाउस में आते ही ट्रंप ने दोनों देशों के बीच चले आ रहे युद्ध को रोकने की बात की. शुरुआत में लगा कि ट्रंप मध्यस्थता करेंगे लेकिन अब तस्वीर कुछ साफ हो चुकी. ट्रंप रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन के साथ मिलकर तय करेंगे कि लड़ाई कब और किन शर्तों पर रोकनी है. यूक्रेन, तीन सालों में जिसकी इमारतें जमीन हो चुकीं, उसे इस पीस डील में कहीं शामिल नहीं किया जा रहा.
बात यहीं खत्म नहीं होती. रूस के पक्षधर दिखते ट्रंप यूक्रेनी लीडर के खिलाफ बयानबाजियां तक कर रहे हैं. उन्होंने हाल में कह दिया कि जेलेंस्की बिना चुनाव वाले तानाशाह हैं. उनका कहना है कि जेलेंस्की ने केवल अपनी जिद में देश को लड़ाई में झोंक दिया और लाखों जानें ले लीं. यह आरोप सीधे-सीधे जेलेंस्की की लोकतांत्रिक वैधता पर सवाल उठाता है. लेकिन क्या इस देश में इलेक्शन केवल लड़ाई की वजह से रुका रहा, या कुछ और भी है?
अगर युद्ध न होता तो इलेक्शन को लेकर क्या स्थिति रहती जेलेंस्की अप्रैल 2019 में प्रेसिडेंट चुने गए थे. यूक्रेनी संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है. इस हिसाब से अगला इलेक्शन पिछले साल ही हो जाना चाहिए था. हालांकि लड़ाई की वजह से मार्शल लॉ लगा हुआ है और चुनाव पर कोई बातचीत नहीं हो रही. जेलेंस्की ने खुद कहा कि जब तक लड़ाई चलेगी, चुनाव कराना सही नहीं. इससे लोगों की सुरक्षा खतरे में आ सकती है. वहीं ट्रंप का कहना है कि ये सब बहाने हैं क्योंकि असल में स्थानीय लोगों में जेलेंस्की अलोकप्रिय हो चुके हैं.
क्या वाकई घटी है जेलेंस्की की लोकप्रियता ट्रंप के बयानों के बीच कीव इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियोलॉजी और आइडेंटिटी एंड बॉर्डर्स इन फ्लक्स ने ने एक सर्वे किया. नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच हुए सर्वे में 1600 लोगों ने हिस्सा लिया था. इसके अनुसार अब भी लगभग 63 फीसदी लोग जेलेंस्की को अच्छा राष्ट्रपति मानते हैं. इसमें भी 26.1 प्रतिशत लोग जेलेंस्की को पूरी तरह सही मानते हैं, वहीं बड़ा हिस्सा जेलेंस्की के फैसलों को आंशिक सहमति देता है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.









