
म्यांमार में भूकंप के पांच दिन बाद जिंदा निकला शख्स, मलबे के नीचे कोई कितने दिन जीवित रह सकता है?
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बीते शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप में हजारों लोग मारे गए है. सबसे ज्यादा तबाही म्यांमार में हुई है और अब भी सैकड़ों लोग गायब हैं. माना जा रहा है कि वो इमारतों के मलबे में दबे हैं. बीतते समय के साथ उनके जिंदा बच निकलने की संभावना भी कम होती जा रही है. इसी बीच बुधवार को एक शख्स को मलबे के अंदर से निकाला गया है.
शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई. भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,886 हो गई है जबकि 4,639 लोग घायल हैं और 373 लोग अभी भी लापता हैं. वहीं, थाईलैंड में भूकंप से कम से कम 18 लोग मारे गए हैं. भूकंप को पांच दिन हो गए हैं और मलबे में फंसे लोगों के जिंदा होने की संभावना भी कम होती जा रही है. इसी बीच बुधवार को म्यांमार के एक होटल के मलबे से एक शख्स को जिंदा रेस्क्यू किया गया है. 26 साल का शख्स मलबों के नीचे दबा था जिसे म्यांमार और तुर्की के बचावकर्मियों ने मिलकर निकाला है.
मंगलवार को रेस्क्यू टीम ने 63 साल की एक महिला को भी मलबे से निकाला था. महिला 91 घंटे तक एक इमारत के मलबे के नीचे दबी थी.
मलबे के नीचे इंसान कितने दिनों तक जीवित रह सकता है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 72 घंटों यानी तीन दिन के बाद मलबे में जीवित बचे लोगों के मिलने की संभावना बिल्कुल कम हो जाती है. किसी भी आपदा के बाद ज्यादातर रेस्क्यू के काम 24 घंटों के भीतर किए जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि उसके बाद हर दिन फंसे लोगों के जिंदा बचे होने की संभावना कम होती जाती है. आपदा के दौरान ज्यादातर लोग बुरी तरह घायल हो जाते हैं. गिरते पत्थरों और दूसरे तरीके के मलबों में दबने से उन्हें काफी चोट आती है.
भूकंप में जिंदा बचे रहने को बहुत से कारक प्रभावित करते हैं. ब्राउन यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद् विक्टर त्साई ने समाचार एजेंसी एपी से बात करते हुए कहा कि अगर कोई किसी ऐसी जगह फंसा है जहां मलबा नहीं है तो उसके बचने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. वो चोटिल नहीं होता तो लंबे समय तक रेस्क्यू का इंतजार कर सकता है. डेस्क, मजबूत बेड आदि के अंदर छिपे लोग लंबे समय तक जीवित रह पाते हैं. विशेषज्ञ ऐसी जगहों को 'जिंदा रहने योग्य खाली स्थान' कहते हैं.
कोई 27 दिन तो कोई 15 दिन बाद निकाला गया मलबे से बाहर

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