
मुलायम के निधन के बाद शिवपाल-अखिलेश में दिखा था प्यार, फिर विरासत पर चाचा-भतीजे में क्यों खिंच गई तलवार?
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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. मुलायम के निधन के बाद सैफई परिवार में जो प्यार दिखा था, वह भ्रम साबित हुआ. मैनपुरी सीट पर दावेदारी को लेकर अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच तलवारें खिच गई हैं. शिवपाल ने खुलकर बगावत का बिगुल फूंक दिया है.
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पूरा परिवार एक जुट था. मुलायम के अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि कलश विसर्जन और शांति पाठ तक शिवपाल यादव-अखिलेश यादव के बीच प्यार दिखा था, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि चाचा-भतीजे के बीच तल्खियां मिट गई हैं और मुलायम कुनबा फिर से एकजुट होकर काम करेगा. मुलायम के बाद सैफई परिवार में शिवपाल-अखिलेश के बीच जो प्यार दिखा था, मैनपुरी उपचुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही वो कलह में बदल गया है. एक बार फिर से चाचा-भतीजे में तलवारें खिंच गई हैं.
मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में सैफई परिवार का ये पहला चुनाव है, जो नेताजी के बिना हो रहा है. यह उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए असल अग्निपरीक्षा होगी. इस चुनाव से तय हो जाएगा कि आखिर जिस मैनपुरी ने मुलायम पर भरपूर प्यार लुटाया, उसने मुलायम के बाद अखिलेश और सैफई परिवार को कितना अपनाया, लेकिन उपचुनाव से पहले ही सैफई परिवार में नई सियासी पटकथा लिखी जाने लगी है.
शिवपाल यादव ने मंगलावर को गोरखपुर में बगावती तेवर दिखा दिए हैं. शिवपाल ने अखिलेश पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि जो परिवार का नहीं हो सका, वो कभी सफल नहीं हो सकता है. साथ ही कहा कि अखिलेश यादव चापलूसों से घिरे हुए हैं, जो उन्हें गलत राय देते हैं. शिवपाल ने कहा कि यह लोग परिवार को एक साथ नहीं देख सकते और पार्टी के लोगों को साथ नहीं रख सकते. शिवपाल ने यहां तक कहा कि असली समाजवादी लोग हमारी पार्टी के साथ हैं और उनकी पार्टी ही असल समाजवादी है.
शिवपाल ने नसीहत देते हुए कहा कि बड़े नेताओं को समझदारी से काम लेना चाहिए. समाज में जिनका अच्छा प्रभाव और पकड़ है, उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए. शिवपाल के साथ कार्यक्रम में मौजूद बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि देवेंद्र सपा से अलग नहीं होना चाहते थे, लेकिन उन्हें मजबूर किया गया. देवेंद्र कोई अकेले नेता नहीं हैं. ऐसे बहुत नेता हैं, जिन्हें सपा से दरकिनार कर दिया गया. शिवपाल ने कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह खुद हैं. उनके साथ सपा में जो कुछ हुआ, वह किसी से छुपा नहीं है.
मुलायम के निधन के बाद पहली बार शिवपाल ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. शिवपाल के हमले को कई नजरिए से देखा जा रहा है. मैनपुरी लोकसभा सीट पर शिवपाल को कोई भाव नहीं देने की टीस भी माना जा रहा है. अखिलेश ने धर्मेंद्र यादव और रामगोपाल यादव के साथ मैनपुरी सीट के लिए प्रत्याशी को लेकर मंथन किया था, जिसमें शिवपाल यादव शामिल नहीं थे. इसके बाद ही शिवपाल ने अखिलेश के खिलाफ अपने सख्त तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं और सिर्फ हमला ही नहीं बल्कि अपने भविष्य की राह भी जाहिर कर दी है.
अखिलेश यादव मैनपुरी लोकसभा सीट पर तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं, लेकिन इस सीट पर शिवपाल भी अपनी दावेदारी पहले से कर रहे थे. ऐसे में अखिलेश ने मैनपुरी सीट पर टिकट के विचार-विमर्श के लिए शिवपाल यादव से राय लेना भी बेहतर नहीं समझा. ऐसे में शिवपाल यादव यह बात बखूबी समझ चुके हैं और अपना सियासी रुख तय कर चुके हैं.

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