
मासूम बच्चियों का यौन शोषण, गिरफ्त में आरोपी और चलती वैन में एनकाउंटर... जानें- HC ने पुलिस की कहानी पर क्या सवाल उठाए
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बदलापुर स्कूल में बच्चियों के यौन शोषण के मामले का खुलासा होने के बाद अक्षय शिंदे की पत्नी ने भी अक्षय के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी. ये शिकायत जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने को लेकर थी. इसी शिकायत पर ठाणे की क्राइम ब्रांच अक्षय को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के दफ्तर लेकर जा रही थी.
Badlapur Akshay Shinde Encounter: चार पुलिसवालों के बीच वो अकेला था. इसके बावजूद उनमें से एक पुलिसवाले की कमर में लगी पिस्टल को वो छिनने की कोशिश करता है. इस दौरान वो पिस्टल खुद ब खुद लोड हो जाती है. फिर उससे गोली भी चल जाती है. वो गोली एक पुलिसवाले के पैर में लगती है. अब बारी थी पुलिसवाले की, लिहाजा एक पुलिसवाला अपनी पिस्टल निकलता है और सीधे आरोपी के सिर में गोली मारता है. इस तरह बदलापुर कांड के आरोपी अक्षय शिंदे का केस कोर्ट में जाने से पहले ही चलती गाड़ी में खुद पुलिसवालों ने ही क्लोज़ कर दिया. ऐसा लगता है कि देश में इंसाफ करने का ये नया ट्रेंड है.
23 सितंबर 2024, क्राइम ब्रांच दफ़्तर, ठाणे दोपहर के 2.30 बजे थे. सौ से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके और कभी मुंबई के सुपर कॉप रहे प्रदीप शर्मा के साथ काम कर चुके सब इंस्पेक्टर संजय शिंदे एक पुलिस वैन में, जिसे महाराष्ट्र में पुलिस डब्बा कहा जाता है, अपने तीन जूनियर पुलिस वालों के साथ तलोजा जेल के लिए निकलते हैं. संजय शिंदे के साथ इस पुलिस वैन में जो बाकी तीन पुलिस वाले थे, उनमें एपीआई नीलेश मोरे, हवलदार अभिजीत मोरे और हरीश तावड़े शामिल थे. पुलिस वैन का ड्राइवर एक एक्स सर्विसमैन था.
23 सितंबर 2024, शाम 5.30 बजे, तलोजा जेल, मुंबई संजय शिंदे और उनके साथी शाम साढ़े पांच बजे तलोजा जेल में बंद बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे को रिमांड पर लेकर उसी वैन में बैठ जाते हैं. बदलापुर स्कूल में बच्चियों के यौन शोषण के मामले का खुलासा होने के बाद अक्षय शिंदे की पत्नी ने भी अक्षय के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी. ये शिकायत जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने को लेकर थी. इसी शिकायत पर ठाणे की क्राइम ब्रांच अक्षय को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के दफ्तर लेकर जा रही थी. वैन में आगे ड्राइवर के बराबर में खुद सब इंस्पेक्टर संजय शिंदे बैठे थे. जबकि वैन के पिछले हिस्से में बाकी तीन पुलिस वालों के साथ अक्षय शिंदे बैठा था.
23 सितंबर 2024, शाम 6.25 मिनट, मुंब्रा वो पुलिस वैन मुंब्रा बाइपास से गुजर रही थी. ये पूरा इलाका बेहद सुनसान है. अक्सर यहां लूटपाट हुआ करती है. न आस-पास में कोई बस्ती है और ना ही कोई दुकान. दूर-दूर तक कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं था. और ठीक तभी चलती वैन में गोली चलती है.
संजय शिंदे के मुताबिक, वैन के पीछे बैठे नीलेश मोरे ने सबसे पहले उन्हें फोन किया और कहा कि अक्षय शिंदे जोर जोर से चिल्ला रहा है और झगड़ रहा है. वो बार-बार यही पूछ रहा है कि उसे कहां ले जा रहे हैं. ये सुनते ही संजय शिंदे ने वैन रुकवाई और खुद भी पीछे जा कर उन चारों के साथ बैठ गए. संजय शिंदे के मुताबिक उसी दौरान अक्षय शिंदे ने एपीआई नीलेश मोरे की कमर की पैंट खुसी सरकारी पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा. इसी छीना झपटी के दौरान अचानक मोरे की पिस्टल लोड हो गई और उससे गोली चल गई. गोली मोरे के बांये पैर में लगी. जिससे वो नीचे गिर गया. इसके बाद अक्षय शिंदे ने दो और गोली चलाई. लेकिन सौभाग्य से वो किसी को लगी नहीं. इसी के बाद संजय शिंदे ने अपनी और अपने साथियों की सुरक्षा के लिए पिस्तौल से अक्षय की तरफ एक गोली चलाई. जिससे वो घायल हो गया और नीचे गिर पड़ा. फिर उसके साथ से पिस्टल छूट गई. फिर हम गाड़ी लेकर पास के ही छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल, कलवा पहुंचे. जहां उन्हें बाद में पता चला कि अक्षय शिंदे की मौत हो गई है. नीलेश मोरे को अस्पताल में भर्ती करा दिया था. बाकी दो और पुलिस वालों को भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. क्योंकि उन दोनों का बीपी बढ़ गया था और उन्हें एंग्जाइटी होने लगी थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने उठाए सवाल ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट संजय शिंदे का वो बयान है, जो एफआईआर में दर्ज है. तो पुलिस की कहानी तो अपने सुन ली. अब आइए इस कहानी के झोल के बारे में बात करते हैं. उस झोल के बारे में जिस पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट तक ने सवाल उठाए. ना सिर्फ सवाल उठाए, बल्कि कोर्ट ने ये तक कह डाला कि ये एनकाउंटर तो कतई नहीं है. अब सवाल है कि अगर ये एनकाउंटर नहीं है, तो फिर क्या है? एनकाउंटर के नाम एक और क़त्ल? यानी बदलापुर के यौन शोषण के आरोपी अक्षय शिंदे का खुद पुलिस ने क़त्ल किया है?

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