
मालदीव के भारत विरोधी और चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को 11 साल की जेल
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मालदीव में एक समय पर भारत के खिलाफ एक कैंपेन चलाया गया. इसे इंडिया आउट नाम दिया गया. अभियान एक एक्टिविस्ट ने चलाया था, लेकिन बाद में इस कैंपेन को मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने हाईजैक कर लिया था. इस तरह के भारत विरोधी काम करने वाले यामीन को मालदीव की कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में 11 साल की सजा सुनाई है.
चीन का खुलकर समर्थन करने वाले और भारत विरोधी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मालदीव की क्रिमिनल कोर्ट ने 11 साल जेल की सजा सुनाई है. यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा रिश्वतखोरी का भी दोषी माना गया है.
यामीन पर आरोप था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में पैसे लेकर वी आरा की जमीन पर रिजॉर्ट डेवलप करने की अनुमति दी थी. यामीन पर अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर लेकर आरा की जमीन पूर्व संसद प्रतिनिधि यूसुफ नई को दिलाने का आरोप था. इस केस में यूसुफ के खिलाफ रिश्वत देने का मामला भी चल रहा है.
अदालत ने रविवार को यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी का दोषी माना. मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में यामीन को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई. यामीन पर इस केस में 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया. अदालत के फैसले के मुताबिक यामीन को छह महीने के अंदर मालदीव इनलैंड रेवेन्यू अथॉरिटी (MIRA) को जुर्माने की राशि जमा करनी होगी. इसके अलावा रिश्वतखोरी के मामले में यामीन को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई है.
बता दें कि अभियोजन पक्ष ने यामीन के लिए 19 साल की जेल की सजा की मांग की थी. इसमें रिश्वत लेने के लिए 8 साल और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 11 साल की सजा मांगी गई थी. सजा सुनाए जाने से पहले अदालत ने यामीन के वकील को अपना पक्ष रखने के लिए 1.30 घंटे का अतिरिक्त समय भी दिया, लेकिन यामीन का वकील कोई ठोस तर्क नहीं दे पाया. मामले की अध्यक्षता न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अहमद शकील ने की. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रतिवादी के पास इस मामले में सजा के संबंध में कोई बिंदु नहीं है.
बता दें कि अपने कार्यकाल के दौरान अब्दुल्ला यामीन ने चीन के समर्थन में और भारत के खिलाफ कई काम किए थे. 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे यामीन के कार्यकाल में भारत के खिलाफ एक एक्टिविस्ट ने इंडिया आउट नाम से कैंपेन चलाया था. बाद में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने इस अभियान को हाईजैक कर लिया और अपने हाथों में ले लिया था. यामीन ने खुले रुप से अपनी नीतियों को चीन के पक्ष में मोड़ा था. ये वो समय था जब चीन हिन्द महासागर में अपनी ताकत बढ़ा रहा था. चीनी प्रोपगैंडा में फंसकर अब्दुल्ला यामीन खुलकर भारत के खिलाफ आ गए.

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