माइक्रो स्ट्रैटजी, लार्जर प्लान... मथुरा से पश्चिमी यूपी का जातीय-धार्मिक गणित साधने की पीएम मोदी की समझिए रणनीति
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मथुरा दौरे को मीराबाई के सहारे राजस्थान साधने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा था. लेकिन करीब चार घंटे का ये दौरा जब पूरा हुआ, पीएम मोदी 2024 चुनाव से पहले एक बड़ी लकीर खींच चुके थे. पीएम के दौरे से पश्चिमी यूपी का जातीय-धार्मिक गणित साधने की रणनीति है तो साथ ही बीजेपी की माइक्रो स्ट्रैटजी भी. समझिए कैसे.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनावी शोर अब नेपथ्य की ओर है और सबका ध्यान सेमीफाइनल माने जा रहे इस सियासी महासमर के बाद महामुकाबले पर है. केंद्र की सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी अब पूरी तरह से चुनावी मोड में नजर आ रही है. राज्यों के चुनाव में बगैर सीएम फेस घोषित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का दांव हो या मोदी की गारंटी का कार्ड, लोकसभा चुनाव से पहले विनिंग कॉम्बिनेशन की तलाश से जोड़कर ही देखे गए.
अब बीजेपी की नजर माइक्रो रणनीति के तहत एक-एक राज्य, एक-एक क्षेत्र, एक-एक जाति और समुदाय को लेकर खास समीकरण गढ़ने पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मथुरा पहुंचे और रानी लक्ष्मीबाई के 525वें जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. पीएम मोदी ने भक्त मीरा की स्मृति में डाक टिकट और 525 रुपये के सिक्के जारी किए तो साथ श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी पहुंचे और दर्शन-पूजन किया.
नरेंद्र मोदी श्रीकृष्ण जन्मभूमि जाने वाले पहले प्रधानमंत्री भी बन गए हैं. पीएम मोदी के मथुरा पहुंच मारवाड़ के सिसोदिया राजवंश से नाता रखने वाली भक्त मीरा जन्मोत्सव में शामिल होने को राजस्थान चुनाव में मारवाड़ साधने की रणनीति, ब्रज पॉलिटिक्स से जोड़कर देखा जा रहा था. पीएम मोदी ने उससे भी एक कदम आगे निकल श्रीकृष्ण जन्मभूमि का दौरा कर एक बड़ी लकीर खींच दी है. एक ऐसी लकीर जिसके बीजेपी और विपक्षी पार्टियां, दोनों के लिए ही अपने संदेश हैं.
पीएम मोदी के मथुरा दौरे, श्रीकृष्ण जन्मभूमि जाने और मीरा जन्मोत्सव में घंटों समय देने के सियासी निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं. सियासत के जानकार पीएम के चार घंटे के मथुरा कार्यक्रम में बीजेपी की सियासत का लार्जर प्लान देख रहे हैं तो वहीं बीजेपी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की माइक्रो लेवल वाली रणनीति. टेंशन सपा की भी बढ़ गई है तभी तो अखिलेश यादव कह रहे हैं कि पहली बार जा रहे हैं तो ये कौन सी उपलब्धि है.
बीजेपी का लार्जर प्लान क्या
अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पीएम के मथुरा दौरे में आखिर बीजेपी का लार्जर प्लान क्या है? इसे समझने के लिए समय चक्र में थोड़ा पीछे चलते हैं. बीजेपी की स्थापना के बाद से ही पार्टी की सियासत का मुख्य आधार राम मंदिर और अयोध्या रहे. मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद राम का नाम और तब बीजेपी अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा ही थी जिसने आरक्षण विरोधी आंदोलन की आग पर पानी डालने का काम किया था. उस दौर में एक नारे का शोर खूब सुनाई दे रहा था- 'अयोध्या तो बस झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है'.
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