
महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट या गुजरात में विधानसभा चुनाव, शिंदे के हाथ से क्यों फिसली टाटा की डील
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महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर से गर्मा गई है. शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इस बार मुद्दा बड़े प्रोजेक्ट्स का प्रदेश से जाना है. विपक्ष इसे सरकार की बड़ी विफलता मानते हुए सीएम शिंदे से इस्तीफे की मांग कर रहा है. वहीं बीजेपी आरोप लगा रही है कि पिछली सरकार ने ही कभी प्रोजेक्ट्स को प्रदेश में लाने की कोशिश नहीं की. जानते हैं कि आखिर क्यों ये प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र से गुजरात जा रहे हैं?
महाराष्ट्र में विपक्ष एकनाथ शिंदे सरकार पर उद्योगों को राज्य से जाने देने का आरोप लगा रहा है. उसका कहना है कि चुनावी राज्य गुजरात के लिए शिंदे सरकार ने एक और अहम प्रोजेक्ट को जाने दिया. जबकि पिछली एमवीए सरकार में बीजेपी आरोप लगाती थी कि रिश्वत और भ्रष्टाचार के कारण बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र से बाहर जा रहे हैं. बीजेपी नेता राम कदम ने तब मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए सभी विपक्षी नेताओं के नार्को टेस्ट तक की मांग कर दी थी.
महाराष्ट्र की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर के बीच एक जानकारी यह भी मिली कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टाटा संस के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया था कि कंपनी को महाराष्ट्र और नागपुर में अपने विभिन्न व्यवसायों का विस्तार कैसे करना चाहिए, कैसे कंपनी इस क्षेत्र में बनाई गई उत्कृष्ट बुनियादी सुविधाओं का उपयोग कर सकती है.
सूत्रों का कहना है कि गडकरी ने 7 अक्टूबर को लिखे पत्र में कहा था कि कैसे राज्य ने मिहान (नागपुर में मल्टी-मोडल इंटरनेशनल हब एयरपोर्ट) में एक एसईजेड बनाया था. गडकरी ने इस बात की वकालत की थी कि कैसे भूमि, जनशक्ति और गोदाम टाटा समूह के लिए लाभकारी साबित होगा.
13 सितंबर को वेदांता और 27 अक्टूबर को टाटा गुजरात चला गया
13 सितंबर को महाराष्ट्र से वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट गुजरात के लिए चला गया. 27 अक्टूबर को राज्य टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट गुजरात चला गया. इतने ही महीनों में दो बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से चले गए.
सवाल यह उठ रहा है कि ऐसे बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से क्यों जा रहे हैं. क्या प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के माहौल और राज्य में भविष्य की राजनीतिक अनिश्चितता के कारण टाटा को गुजरात में अपने प्रोजेक्ट को ले जाना पड़ा, क्या बिजनेस सेंस की वजह से महाराष्ट्र की जगह गुजरात में प्रोजेक्ट लगाना ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है?

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