
मनोज मुंतशिर को है बेटी का पिता बनने की चाह, बोले- पूरी जिंदगी तरसता रह गया...
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मनोज मुंतशिर ने आजतक साहित्य के मंच पर शिरकत की, जहां उन्होंने सेक्यूलर, धर्म, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे पर चर्चा की. साथ ही बताया कि करियर के शुरुआत में कैसे उन्हें भी मुंबई के बड़े बड़े नामों का हवाला देकर डराया गया था. साथ ही बताया कि उनका एक बेटा है, लेकिन एक बेटी की कमी उन्हें आज भी खलती है.
लखनऊ में हुए साहित्य आजतक 2025 के मंच पर लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने शिरकत की. आते के साथ ही मनोज ने अपने बेहतरीन ह्यूमर का परिचय दिया. उन्होंने बताया कि वो वैलेंटाइन नहीं मनाते और बड़े ही मजाकिया अंदाज में बयां करते हुए बोले कि मेरा वैलेंटाइन डे से वैसा ही रिश्ता है जैसा डोनाल्ड ट्रंप का नागपंचमी से है. हमारे लिए तो महाकुंभ है, उसी का चलन है.
मनोज को चाहिए थी बेटी
मनोज ने नए लोगों को उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि मुंबई में बहुत डराते हैं, डरना नहीं है. अपना काम करते रहना है. मैं 1999 में मुंबई गया था, तो मैं बताता हूं कि लोग डराते बहुत हैं. एक बात बहुत सुनने को मिलता था, आज भी मिलता है कि भई बंबई में तो बहुत बड़े-बड़े नाम चलते हैं, बहुत टाइट ग्रुप्स चलते हैं. नेपोटिज्म के आकाओं से कहना चाहता हूं, सुनो बड़के नाम बड़के शहर वालों, हम बकैती पर आ गए न बाबू अच्छे अच्छों का पसीना छूट जाता है. तुम्हारे जौहरी हमको अदाकार नहीं मानेंगे हम कर के दिखाएंगे. बाप के कंधे पर बंदूक रखकर तो हमने चिड़िया तक नहीं मारी.
मनोज से जब जनता की ओर से पूछा गया कि आपने क्या सोचकर रामायण लिखी थी? इस पर मनोज खूब हंसे, और बोले- आदिपुरुष, हैं न उसी की बात कर रहे हो, हमने तो जो लिखा उसकी बात न ही की जाए तो अच्छा. रामायण तो वाल्मिकी ने लिखी थी, लेकिन एक बात बताऊं आपको हमने तो ठीक ही लिखा था, हमने तो संस्कृत में जो लिखा था वहां पलट कर हो गया, तेल तेरे बाप का, कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, इतने प्यारे लोग हैं ये. गलती हुई थी मुझसे, मुझे ऐसी फिल्म का हिस्सा कभी नहीं बनना था, गलती हुई मुझसे. मैंने साष्टांग लेटकर क्षमा मांगी है, अब मुझे क्षमा कर दिया जाए और इस बात को यहीं खत्म किया जाए.
एक बच्ची को सवाल करता देख मनोज ने अपने दिल की बात कही, उन्होंने बताया कि वो भी एक बेटी चाहते हैं. मनोज बोले- बेटियां किस्मत से होती हैं. मैं पूरी जिंदगी तरसता रह गया कि मेरी भी बेटी हो. मैं हमेशा से चाहता था कि मेरी भी एक बेटी हो. बड़ा सुंदर सा बेटा है एक मेरा लेकिन बेटी की कमी आज भी खटकती है. आप बड़े भाग्यशाली हैं.
इसके बाद मनोज से बच्ची ने एक देशभक्ति गाने की रिक्वेस्ट की, तो लेखक ने अपने केसरी गाने के बोलों को दोहराया.













