
भूकंप से हाहाकार, 150 की मौत, 700 से ज्यादा घायल... 8 सेकेंड में कांप उठे म्यांमार समेत 5 मुल्क
AajTak
28 मार्च (शुक्रवार) को 8 सेकेंड को ज़लज़ला आया, जिसने दुनिया के 5 देशों को थर्राकर रख दिया. खौफ की ऐसी तस्वीरें सामने आईं कि दिल दहल गया. बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो गईं. सड़कें उखड़ गईं. हवाई यात्रा थम गई. लोग जान बचाकर भागते दिखे.
कहते हैं कि प्रकृति समय-समय पर इंसानों को ये याद दिलाती रहती है कि उन्हें इस पृथ्वी पर किराएदार की तरह रहना चाहिए, मालिक की तरह नहीं. और आज म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के रूप में एक नया रिमाइंडर आया है. म्यांमार में सुबह साढ़े 11 बजे रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता का ताकतवर भूकंप आया, जिसमें अब तक 144 लोगों को मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग लापता बताए जा रहे हैं. इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर में था, लेकिन इस भूकंप के झटके भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश और चीन में भी महसूस किए गए.
भूकंप की वजह से म्यांमार में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है और अमेरिका के Geological Survey को आशंका है कि भूकंप में मरने वाले लोगों का आंकड़ा 10 हजार को भी पार कर सकता है.
म्यांमार में क्यों आते हैं इतने भूकंप?
म्यांमार दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो भूकंप के लिहाज़ से खतरनाक है और म्यांमार में हर महीने 8 भूकंप आते हैं. इसका कारण ये है कि म्यांमार से Ring of Fire की दूरी ज्यादा नहीं है, जहां पूरी दुनिया के 81 प्रतिशत भूकंप आते हैं. इसके अलावा म्यामांर Indian Plates और Sunda Plates के बीच है, जिसकी वजह से इन Plates के टकराने से म्यांमार में भूकम्प के झटके लगते रहते हैं, और इस Fault को SAGAING (सागाइंग) फॉल्ट कहते हैं.
भारत के इन शहरों में आया ऐसा भूकंप तो क्या होगा? ऐसे में सवाल ये है कि भारत के दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु या चेन्नई जैसे शहर में रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता का भूकम्प आया तो इन शहरों का क्या होगा? अलग-अलग रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये शहर इतने ताकतवर भूकम्प को सह नहीं पाएंगे और यहां 70 से 80 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो सकती हैं. इन राज्यों में एक समस्या ये भी है कि यहां घनी आबादी रहती है और यहां 45 प्रतिशत इमारतें बिना नक्शे और अनुमति के बनाई गई हैं और इन्हें बनाने वाले ठेकेदार काबिल भी नहीं है और इनके पास लाइसेंस भी नहीं होता.
भारत को लेना चाहिए ये सबक वर्ष 1950 में असम में 8.6 तीव्रता का भूकम्प आया था, जिसमें लगभग 5 हजार लोग मारे गए थे, अगर 7 तीव्रता का भूकम्प आता है, तो इसका मतलब ये होता है कि ये जापान के हिरोशीमा पर गिराए गए 700 परमाणु बम के बराबर है. लिहाजा भारत को म्यांमार के भूकम्प से सीख लेनी चाहिए और हमारे शहरों को इस तरह से विकसित करना चाहिए, जिससे ये भूकम्प की आपदा को सह सकें.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







