
फ्रांस ने भी दी फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र की मान्यता, मैक्रों बोले- शांति के लिए यही एकमात्र रास्ता
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फ्रांस की मान्यता मिलने के बाद फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 में 4 स्थाई देशों का समर्थन मिला है. चीन और रूस दोनों ने 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता दी थी. ऐसे में अमेरिका इकलौता देश होगा जिसने फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी है.
इधर गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही. उधर स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इस लिस्ट में फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का नाम भी शामिल हो गया है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को कहा कि फ्रांस ने आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता दे दी है. ये कदम संयुक्त राष्ट्र समिट के दौरान उठाया गया है. इस तरह 2025 तक संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 155 देश ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी.
यह संख्या अप्रैल 2025 में 147 थी लेकिन सितंबर 2025 में फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, माल्टा, मोनाको, एंडोरा, सैन मारीनो और आर्मेनिया जैसे देशों की हालिया घोषणाओं के बाद बढ़ी है.
यह कदम इजरायल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग करता है क्योंकि वह गाजा में अपने युद्ध लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है. मोनाको, माल्टा और लक्जमबर्ग ने न्यूयॉर्क में टू स्टेट सॉल्यूशन पर आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अपनी समर्थन की घोषणा की, जिसकी सह अध्यक्षता फ्रांस और सऊदी अरब ने की.
मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता एकमात्र समाधान है, जो इजरायल को शांति में रहने की अनुमति देगा. हमें अपनी पूरी ताकत लगानी होगी ताकि टू स्टेट सॉल्यूशन इजरायल और फिलिस्तीन के शांति और सुरक्षा में साथ-साथ रहने की संभावना को बनाए रखा जा सके.
उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को मान्यता देने से इजरायल के लोगों के अधिकार नहीं छीनते. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा की स्थिति को असहनीय बताते हुए कहा कि टू स्टेट सॉल्यूशन ही इस दुस्वप्न से निकलने का एकमात्र रास्ता है.

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