फारूक अब्दुल्ला के बयान पर पल्लवी जोशी का पलटवार- 'कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या से पहले दिया इस्तीफा'
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फारूक अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह देश के किसी भी कोने में सूली चढ़ने के लिए तैयार हैं, अगर वह इस मुद्दे के लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं तो. अब फारूक अब्दुल्ला के इस बयान पर 'द कश्मीर फाइल्स' की एक्ट्रेस पल्लवी जोशी ने रिएक्ट किया है.
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' हर तरह से सुर्खियों में आई हुई है. इस फिल्म पर राजनेता भी रिएक्ट कर रहे हैं. साल 1990 में जिस तरह कश्मीरी पंडितों का जेनोसाइड हुआ, इस मुद्दे को फिल्म में बखूबी दिखाया गया है. यह फिल्म हर तरह से दर्शकों और ऑडियन्स का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. क्रिटिक्स के बीच भी इस फिल्म की चर्चा हो रही है. अब तक फिल्म 200 करोड़ से भी ज्यादा कमाई कर चुकी है. अब पॉलिटीशियन्स भी फिल्म को लेकर चर्चा कर रहे हैं. एक-दूसरे पर इस मुद्दे को लेकर आरोप लगा रहे हैं. हाल ही में इंडिया टुडे संग पूर्व जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बातचीत के दौरान कहा कि उनके राज में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
पल्लवी ने रखा अपना पक्ष, दिया जवाब फारूक अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह देश के किसी भी कोने में सूली चढ़ने के लिए तैयार हैं, अगर वह इस मुद्दे के लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं तो. अब फारूक अब्दुल्ला के इस बयान पर 'द कश्मीर फाइल्स' की एक्ट्रेस पल्लवी जोशी ने रिएक्ट किया है. पल्लवी ने कहा, "देखिए, पॉलिटिक्स मेरा डोमेन नहीं है. मैं नहीं जानती कि किस तरह पॉलिटीशियन्स को जवाब देते हैं, लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगी कि जो हमने किया है, वह चार साल के डिटेल्ड काम के आधार पर किया है. फिल्म में वही दिखाया गया है जो रिसर्च में हमें मिला है. मेरे पास अभी भी उन सभी कश्मीरी पंडितों के बयान हैं. उन सरकारी कर्मचारियों के बयान हैं, जिन्होंने उस समय को देखा है. पुलिस से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन तक. जितनी भी घटनाएं फिल्म में दिखाई गई हैं, हमारे पास उन सभी के वीडियो एविडेंस हैं. मुझे नहीं लगता कि 700 लोग एकजुट होकर झूठ बोलेंगे."
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पल्लवी जोशी ने आगे कहा कि कश्मीरी पंडितों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने जगमोहन (मल्होत्रा, जम्मू एंड कश्मीर के गवर्नर, 1990) के साथ मिलीभगत की और चले गए. मैं समझती हूं कि कुछ लोग ऐसा कर सकते होंगे, लेकिन सात लाख लोग ऐसा मिलकर क्यों करेंगे? क्यों वह एक ही दिन में उस जगह को छोड़कर जाने को मजबूर हो जाएंगे? ओके, चलो मैं कहती हूं कि उन्होंने ऐसा किया, लेकिन उन्होंने जगमोहन के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा. वे 32 साल से वापस नहीं जा पाए, तो आपको इससे क्या लगता है कि उन्होंने हमसे कहानियां झूठ कही होंगी?
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पल्लवी जोशी ने यह प्वॉइंट भी रखा कि साल 1990 में फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या से दो दिन पहले ही इस्तीफा दिया था. दो दिन के लिए वहां कोई एडमिनिस्ट्रेशन नहीं था. मिस्टर अब्दुल्ला ने इस निर्मम हत्या से दो दिन पहले रिजाइन कर दिया था और वह लंदन चले गए थे. जगमोहन उस समय गवर्नर अप्वॉइंट हुए और खराब मौसम के कारण वहां नहीं पहुंच पाए थे. उन्हें तीन दिन के लिए जम्मू में ही रुकना पड़ गया था. उस समय यह सारी हत्याएं हुईं.
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