
पूजा खेडकर ने खुद पर लगे आरोपों को नकारा, HC में बोलीं- UPSC के पास नहीं है मेरी उम्मीदवारी रद्द करने की ताकत
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पूजा ने अपने जवाब में कहा है कि एक बार परिवीक्षाधीन अधिकारी (Probationary Officer) के रूप में चयनित और नियुक्त हो जाने पर अभ्यर्थी की उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की यूपीएससी की शक्ति समाप्त हो जाती है. पूजा खेडकर ने अदालत में कहा है कि अब उनके खिलाफ केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ही कार्रवाई कर सकता है.
पूर्व आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर ने अपने खिलाफ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के दावों पर प्रतिक्रिया दी है. खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल किया है. उनका कहना है कि यूपीएससी के पास उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य ठहराने की कोई शक्ति नहीं है. पूजा ने अपने जवाब में कहा है कि एक बार परिवीक्षाधीन अधिकारी (Probationary Officer) के रूप में चयनित और नियुक्त हो जाने पर अभ्यर्थी की उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की यूपीएससी की शक्ति समाप्त हो जाती है.
पूजा खेडकर ने अदालत में कहा है कि अब उनके खिलाफ केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ही कार्रवाई कर सकता है. उन्होंने दावा किया है कि 2012-2022 तक उनके नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है न ही यूपीएससी को उन्होंने अपने बारे में कोई गलत जानकारी उपलब्ध करायी है. पूजा खेडकर ने कहा है कि यूपीएससी ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए मेरी पहचान को वेरिफाई किया, आयोग ने मेरे द्वारा प्रस्तुत कोई भी दस्तावेज जाली या मनगढ़ंत नहीं पाया. उन्होंने कहा है, 'मेरा शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि और व्यक्तिगत जानकारी सहित अन्य सभी विवरण डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF)में सुसंगत बने हुए हैं.
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UPSC और DoPT ने वेरिफाई की थी पहचान
पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा है, 'यूपीएससी ने 2019, 2021 और 2022 में पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान एकत्र किए गए बायोमेट्रिक डेटा (साइबर और फिंगरप्रिंट) के माध्यम से मेरी पहचान सत्यापित की है. फिर 26 मई, 2022 को पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान आयोग द्वारा सभी दस्तावेजों को सत्यापित किया गया था. मैंने अपने नाम और प्रमाणपत्रों में विसंगतियों को ठीक करने के लिए हलफनामा और आधिकारिक राजपत्र भी प्रस्तुत किए और पीडब्ल्यूबीडी (Person with Benchmark Disability), जाति और पिता के नाम के डिक्लरेशन के लिए यूपीएससी के अनुरोध का पालन किया. इसलिए आयोग की ओर से यह कहना गलत है कि मैंने अपना नाम गलत नाम बताया.'
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