
पाकिस्तान में हो रहा अहमदियों का उत्पीड़न, तोड़ दी गईं तीन मस्जिदें
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एक सप्ताह कुछ दिन पहले भी अहमदियों के इबादत स्थलों पर तोड़फोड़ की गई थी. आठ सितंबर को पंजाब प्रांत में स्थानीय पुलिस ने अहमदियाओं के धर्मस्थलों के मेहराबों को हटाया था. यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश 1984 से पहले बने अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मस्थलों की तोड़फोड़ पर प्रतिबंध की अवहेलना करते हुए की गई है.
पाकिस्तान में अहमदी समुदाय से जुड़ी तीन मस्जिदों को तोड़ दिया गया. अहमदी खुद को मुसलमान बताते हैं, लेकिन पाकिस्तान में उन्हें मुसलमान नहीं माना जाता है. पाकिस्तानी संसद ने 1974 में अहमदी समुदाय को गैर मुसलमान घोषित कर दिया था. उन पर धर्म उपदेश देने और सऊदी अरब जाकर हज करने पर रोक लगाई गई है. जबकि पाकिस्तान में इनकी तादाद करीब दस लाख है.
एक सप्ताह पहले भी हुई थी अहमदियों के इबादत स्थलों पर तोड़फोड़ एक सप्ताह कुछ दिन पहले भी अहमदियों के इबादत स्थलों पर तोड़फोड़ की गई थी. आठ सितंबर को पंजाब प्रांत में स्थानीय पुलिस ने अहमदियाओं के धर्मस्थलों के मेहराबों को हटाया था. यह हाई कोर्ट के उस आदेश की अनदेखी करके किया गया जिसमें 1984 से पहले बने अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मस्थलों की तोड़फोड़ पर प्रतिबंध लगाया है. एक बार हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है.
तीन इबादत स्थलों को तोड़ा गया "अहमदी इबादत स्थलों की मीनारों की पहचान मुस्लिम मस्जिद से करते हुए, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं ने पंजाब के शेखूपुरा, बहावलनगर और बहावलपुर जिलों में तीन अहमदी इबादत स्थलों पर धावा बोल दिया और पिछले कुछ वर्षों के दौरान उनकी मीनारों को ध्वस्त कर दिया. “जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के अधिकारी अमीर महमूद ने सोमवार को मीडिया को इसकी जानकारी दी.
इन हालिया घटनाओं के साथ, इस वर्ष के दौरान पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अहमदियों के इबादत स्थलों पर कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा किए गए हमले या पुलिस द्वारा ध्वस्त किए गए हमलों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है.
पुलिस भी कर रही तोड़फोड़ में सहयोग "जैसे ही टीएलपी ने इन तीन अहमदी इबादत स्थलों पर हमला किया, पुलिस ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया. अहमदियों को पाकिस्तान में रहने वाले नागरिक के रूप में उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. दुखद है कि पुलिस भी इनमें मौन सहयोग दे रही है. महमूद ने कहा कि लाहौर उच्च न्यायालय के हालिया फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 1984 से पहले बने अहमदी इबादत स्थलों की मीनारों में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ''ये स्थल 1984 से पहले बनाये गये थे.''
स्थिति दिन-ब-दिन हो रही बदतर पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने कहा कि अहमदिया पूजा स्थलों के एक हिस्से को नष्ट करना अहमदिया पूजा स्थलों की सुरक्षा के संबंध में लाहौर उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का खुला उल्लंघन है. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि देश में पहले से ही हाशिए पर मौजूद अहमदियों के लिए स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.

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