पांच महीने पहले इस कंटेस्टेंट ने खोई थी अपनी 9 महीने की बेटी, आज विजेता बन ट्रॉफी की डेडिकेट
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Sa Re Ga Ma Pa 2023 Winner: वेस्ट बंगाल के एक कस्बे से आए अल्बर्ट काबो लेपचा ने विनर की ट्रॉफी अपने नाम कर ली है. हालांकि अल्बर्ट का यहां तक पहुंच पाने की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है.
सारेगामापा शो अपने फाइनल मुकाम पर पहुंच चुका है. इस शो में देशभर से शामिल हुए कंटेस्टेंट्स के बीच अल्बर्ट ने जीत की ट्रॉफी हासिल की है. अपनी जीत और रिएलिटी शो के इस सफर पर हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत करते हैं.
सारेगामापा की ट्रॉफी जीतने के बाद अल्बर्ट बताते हैं, 'मैं अपनी खुशी का इजहार नहीं कर पा रहा हूं. एक सपने के साथ मैं इस शो में हिस्सा लेने आया था, आज जाकर वो सपना पूरा हो गया है. मुझसे ज्यादा खुश तो मेरी पत्नी है. वो चाहती थी कि मैं किसी बड़े रिएलिटी शो का हिस्सा बनूं. आज मैं विनर हो गया हूं, तो कह लें मैं उसके सपने को जी रहा हूं.'
पांच महीने पहले ही खोई है बेटी अपनी जीत का श्रेय पत्नी और बच्चे को देते हुए अल्बर्ट कहते हैं, 'मैं इस ट्रॉफी को मैं अपनी जिंदगी के दो अहम लोगों को डेडिकेट करना चाहूंगा. पहले तो मेरी मरहूम बेटी और दूसरी मेरी पत्नी. मैं इस रिएलिटी शो में बस इन्हीं दोनों की वजह से आया हूं. वरना मैं कभी इस मुकाम तक पहुंच ही नहीं पाता. दरअसल पांच महीने पहले ही मैंने अपनी 9 महीने की बच्ची को खोया है. उसके जाने के बाद से मैं डिप्रेशन में चला गया था. मेरी पत्नी ने उसी का हवाला देते हुए कहा था कि तुम गाने पर फोकस करो, ताकि तुम्हारा ध्यान इससे भटक सके.'
वाइफ को सपोर्ट नहीं करने का होता था गिल्ट बता दें अल्बर्ट के लिए यहां तक पहुंचने के लिए राहें आसान नहीं थी. उनकी जिंदगी में तमाम तरह के स्ट्रगल्स रहे हैं. अपने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए अल्बर्ट बताते हैं, मेरी जिंदगी में तमाम तरह के मुश्किलात रहे हैं. मैंने पैसे के लिए कहां-कहां नहीं काम किया है. एक रेस्त्रां में वेटर रहा, टूरिस्ट गाइड और बार में गाना गाया करता था. मेरे महीने की सैलेरी 15 हजार रुपये होती थी. इस बीच मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात की होती थी कि मेरी पत्नी को ये सब मेरी वजह से झेलना पड़ता था. शादी के बाद एहसास होता था, कि वो जितना डिजर्व करती थी, मैं उसे वो सुख नहीं दे पाता था. हम गरीबी की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहने को मजबूर थे. मैं सिलीगुड़ी में वेटर का काम कर रहा था और वो बैंगलोर में एक सैलून में काम किया करती थीं. ऐसा लगता था कि ऊपरवाला टेस्ट ले रहा है. कई बार मुझे अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आता था.
ठंड में ठिठुरते हुए जाता था घर अल्बर्ट आगे कहते हैं, मेरे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि मैं म्यूजिक की तालीम ले सकूं. जो कुछ भी सीखा है, खुद से ही सीखा है. मैं बार में जब गाया करता था, तो उस वक्त ऐसा एहसास होता था कि यहां जो मैं कर रहा हूं, शायद यहां की सीख मेरे लिए मैजिकल साबित होगी. मुझे याद है, देर रात बार से 2 बजे निकलकर मैं ठंड में ठिठुरते हुए साइकिल से अपने रूम जाया करता था, तो उस वक्त भी गुनगुनाते हुए जाता था. बेशक बहुत कम पैसे मिलते थे, लेकिन ऐसा लगता था कि यहां वाली तालिम जो हासिल की है, वो शायद ही कोई गुरु सीखा सके.
रणबीर कपूर को आवाज देने की इच्छा अल्बर्ट को प्राइज मनी के रूप में दस लाख रुपये और एक कार गिफ्ट मिला है. जीती हुई राशी के इस्तेमाल पर अल्बर्ट कहते हैं, 'मैं फिलहाल यह सोच रहा हूं कि इसे कैसे म्यूजिक के फील्ड में इन्वेस्ट करूं. आगे चलकर स्टूडियो खोलने का प्लान है. इसके साथ ही बाकी के बचे हुए पैसे को अपनी बीवी को दे दूंगा.' अपनी आगे की प्लानिंग पर अल्बर्ट बताते हैं, 'मैं रणबीर कपूर को अपनी आवाज देने की ख्वाहिश रखता हूं. इसके साथ ही एआर रहमान, प्रीतम दा जैसे म्यूजिक कंपोजर के साथ काम करने का बड़ा मन है.'
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