पहलवानों से 'दंगल' जारी, बृजभूषण बोले- 'मैं एक इशारा कर दूं तो जंतर-मंतर पर कई गुना लोग भर जाएंगे...'
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कुश्ती महासंघ से पहलवानों का चल रहा टकराव जारी है. पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं. इसी बीच WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि FIR होने के बावजूद पहलवान धरने पर क्यों बैठे हैं, उन्हें खुद नहीं पता है. इसके साथ ही उन्होंने अन्य खिलाड़ियों के करियर खराब होने को लेकर चिंता जताई है.
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का धरना जारी है. जंतर-मंतर पर हो रहे इस इस प्रदर्शन को सोमवार को 9 दिन हो गए. इस बीच पहलवान कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं और कहते रहे हैं कि उनकी लड़ाई WFI अध्यक्ष को जेल भेजने को लेकर है, उन्हें सजा दिलाने को लेकर है. वह एफआईआर तक ही सीमित नहीं थी. पहलवानों ने महासंघ के अध्यक्ष पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली पुलिस ने छह दिन बाद FIR दर्ज की थी. लगातार चल रहे इस मामले के बीच सोमवार को बृजभूषण शरण सिंह से आज तक ने बात की, इस दौरान उन्होंने खुलकर बात की और अपना पक्ष रखा है.
पहले इस्तीफे की मांग फिर यौन उत्पीड़न में बदल गया प्रकरण बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि, 18 जनवरी को जब यह पहली बार जंतर-मंतर पर आए थे तो इनकी मांग थी फेडरेशन के अध्यक्ष इस्तीफा दे दें तो धरना समाप्त हो जाएगा. यह प्रकरण यौन उत्पीड़न में तब्दील हो गया और फिर इन्हीं की मांग पर भारत सरकार ने दो कमेटी बनाई. सेक्सुअल हैरेसमेंट के संबंध में जो कमेटी बनाई, उसमें खिलाड़ी भी शामिल थे. खिलाड़ियों के दबाव में एक ऐसा व्यक्ति जिसने खुद धरने की परमिशन ली थी, उसे कमेटी का मेंबर बनाया गया.
कोई गंभीर आरोप नहीं आया सामने: बृजभूषण शरण सिंह बृजभूषण शरण सिंह का कहना है कि मुझसे कहा गया कि आप 3 सप्ताह तक खुद को कामकाज से अलग रखें और जांच पूरी होने दें. ओवरसाइज कमेटी की जांच पूरी नहीं हुई और यह लोग दोबारा धरने पर बैठ गए. बकौल बृजभूषण, इसके पीछे कारण यह है इन्होंने जिसको कमेटी का मेंबर बनाया था वह इन्हीं के परिवार का था और वह डे बाय डे की रिपोर्ट देता था और इन को मालूम था कि जांच में कोई भी चीजें निकलकर नहीं आई है. यहां तक कि कोई बच्ची या लड़की भी गंभीर आरोप लेकर नहीं आई है.
'पहलवान क्यों यहां है खुद नहीं जानते' इसके बाद पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने स्वयं कहा हमें FIR लिखने में कोई आपत्ति नहीं है. कोर्ट ने इस पर भी कहा कि ठीक है. इसके बाद पहलवानों ने सुरक्षा की मांग की. पहले नाबालिग के लिए सुरक्षा मांगी और फिर सबको सुरक्षा भी मिल गई. अब FIR भी दर्ज हो गई. महासंघ अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे में मेरा सवाल है कि अब यह लोग धरने पर क्यों बैठे हैं? यह यहां क्यों हैं, खुद नहीं जानते हैं. इनको जाना कहां है? इनको अपनी मंजिल पता ही नहीं है? जब दिल्ली पुलिस में शिकायत हो चुकी है तो दिल्ली पुलिस का जो रिजल्ट आएगा, जांच के बाद उसको मारना चाहिए और इनको घर जाना चाहिए. अभी से कहना शुरू कर दिया. पता नहीं जांच सही से शुरू हुई या नहीं. उन्होंने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाना शुरू कर दिया. ये निश्चित दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाएंगे.
नाबालिग पीड़िता कौन? नहीं है जानकारी जिस दिन से धरने पर यह लोग बैठे थे मैंने एक बयान दिया था. एक भी प्रकरण मेरे खिलाफ साबित हो जाए मैं स्वतः फांसी पर लटक जाऊंगा. इसके लिए किसी को कहना नहीं पड़ेगा. पहले दिन जितने भी आरोप लगाए गए हैं स्टेडियम के एक भी आरोप बंद कमरे के नहीं हैं. जहां तक फोटो की बात है तो वह भी सब के सामने है. वहीं, नाबालिग पीड़िता के बारे में उन्होंने कहा कि, मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन मैं अपने आपको जानता हूं. मैंने किसी भी के खिलाड़ी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि पहलवानों का मकसद, इस्तीफा नहीं है. मैं अपराधी बनकर इस्तीफा नहीं दूंगा. यह कोई बहुत बड़ा पद नहीं है. मेरा शौक था मैं खेल में आया. आज यह खिलाड़ी आरोप लेकर मेरे सामने आए हैं.
जनवरी से पहले कहीं नहीं कोई शिकायत, क्यों? क्या 16 जनवरी या 18 जनवरी के पहले इनकी एक भी शिकायत खेल मंत्रालय के पास गई? एक भी शिकायत इनकी पुलिस के पास है? यह जो बाहर के टूर्नामेंट लेकर आए हैं, कजाकिस्तान, तुर्की. एक भी शिकायत ऑर्गेनाइजिंग कमेटी को दी गई. कहीं कोई शिकायत नहीं है. पहले नेता जी बहुत अच्छे थे. जब नाजायज मांगों को मना कर दिया नेताजी बुरे हो गए.
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