
नेपाल: एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे शेर बहादुर देउबा, पार्टी ने लगाई मुहर
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नेपाल को अपना नया प्रधानमंत्री मिल गया है. एक बार फिर नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. पार्टी द्वारा मीटिंग में उनके नाम पर मुहर लगा दी गई है.
नेपाल को अपना नया प्रधानमंत्री मिल गया है. एक बार फिर नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. पार्टी द्वारा मीटिंग में उनके नाम पर मुहर लगा दी गई है. अब नेपाल चुनाव के नतीजे तो कई दिन पहले ही बता दिए गए थे. नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी उभरी थी. लेकिन क्योंकि पीएम उम्मीदवार कई थे, ऐसे में किसी एक नाम पर सहमति बनाना मुश्किल था.
चुनाव के क्या नतीजे, कौन कहां खड़ा?
रेस में शेर बहादुर देउबा आगे जरूर चल रहे थे, लेकिन कई दूसरे नेताओं की उम्मीदवारी की वजह से प्रक्रिया लंबी खिचती जा रही थी. इसी वजह से राष्ट्रपति द्वारा भी सात दिन का अल्टिमेटम दे दिया गया था. अब नेपाली कांग्रेस ने शेर बहादुर देउबा के नाम पर सहमति बना दी है, अब उन्हें बस सरकार बनाने का दावा पेश करना है. इस चुनाव में नेपाली कांग्रेस ने 275 सीटों में से 89 जीती हैं, CPN-UML के खाते में 78 सीटें गई हैं और CPN-Maoist को 32 सीटों से संतुष्ट करना पड़ा है. पहली बार चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी ने भी 20 सीटे अपने नाम की हैं, जनता समाजवादी पार्टी ने 12 सीटें जीती हैं जनमत पार्टी के खाते में 6 सीटें गई हैं.
शेर बहादुर देउबा द्वारा अपनी पार्टी का आभार व्यक्त किया गया है. उन्होंने कहा है कि सभी के सहयोग से मेरी जीत हुई है. सभी का शुक्रिया. मैं इस पार्टी को हर मुसीबत से दूर रखूंगा और इसे आगे बढ़ाने का काम करूंगा. जानकारी के लिए बता दें कि नेपाली कांग्रेस में शेर बहादुर देउबा को चुनौती गगन कुमार थापा से मिली थी. वे भी पीएम बनने की रेस में खड़े थे. लेकिन पार्टी के आंतरिक चुनाव में थापा को 39 वोटों से शिकस्त दी गई और देउबा पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिए गए.
देउबा ने दूसरी पार्टी के साथ क्या डील की?
यहां ये समझना जरूरी है कि इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. सभी पार्टियां जादुई आंकड़े से दूर हैं. लेकिन अपने सहयोगी दलों की मदद से नेपाली कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. शेर बहादुर देउबा ने सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की है. उस मुलाकात में समर्थन देने की बात तो हुई है, लेकिन शर्त ये रखी है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी एक नहीं दो लोगों के हिस्से में आएगी. यानी कि पहले ढाई साल प्रचंड प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, फिर दूसरे हाफ में देउबा को मौका मिले. अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि देउबा की तरफ से क्या जवाब दिया गया है. वे इस डील के लिए राजी हैं या नहीं, इसे लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया है.

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