
निशांत को राजनीति में लाने और नीतीश को भारत रत्न देने की मांग एक जैसी ही तो नहीं है?
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नीतीश कुमार कुमार बुरी तरह घिरे हुए हैं, लेकिन ऐसा कोई पहली बार नहीं है. और, हमेशा की तरफ अब भी वो पेच फंसाये हुए हैं, पटना से दिल्ली तक. अब तो उनका बेटा भी मैदान के करीब नजर आ रहा है - देखना ये है कि उनकी कितनी दिलचस्पी है.
नीतीश कुमार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से लाड़ला-सीएम सुनकर फूले नहीं समाये होंगे, लेकिन वो ये भी नहीं भूले होंगे कि मनोहरलाल खट्टर को भी ऐसी ही तारीफ सुनने को मिली थी - और वो खुशी खत्म होते देर भी नहीं लगी.
बीजेपी ने तो अपनी तरफ से नीतीश कुमार का बोरिया बिस्तर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ही समेट दिया था, लेकिन मिशन पूरा न हो सका. वैसे ही जैसे कांग्रेस मुक्त भारत - और वक्त का तकाजा देखिये कि 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद वही नीतीश कुमार काम आये, और उनके सपोर्ट से ही केंद्र में एनडीए की सरकार बन सकी. कह सकते हैं कि अकेले नीतीश कुमार की वजह से ये संभव नहीं था, लेकिन क्या नीतीश कुमार के बगैर संभव था?
बिहार की राजनीति में सक्रिय हर राजनीतिक दल के सामने अब विधानसभा चुनाव की चुनौती है, और निशाने पर नीतीश कुमार ही हैं. सिर्फ आरजेडी या जन सुराज वाले प्रशांत किशोर के टार्गेट पर ही नहीं, गठबंधन साथी बीजेपी के निशाने पर भी नीतीश कुमार बने हुए हैं. नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से पंगु बनाने की कवायद तेज हो चली है - लेकिन किसी के लिए भी ये आसान नहीं है.
और इसी बीच एक जोरदार चर्चा नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर चल रही है. ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि निशांत कुमार आने वाला बिहार चुनाव लड़ सकते हैं, और उनके नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बताने की भी कोशिशें जारी हैं.
भागलपुर के गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक गोपाल मंडल का तो कहना है कि पार्टी के सभी बड़े नेता चाहते हैं कि निशांत कुमार साथ आ जायें. गोपाल मंडल का तो यहां तक दावा है कि अगर निशांत कुमार जेडीयू में नहीं आते हैं तो पार्टी की तरक्की थम जाएगी, और खत्म भी हो सकती है.
सुनने में तो ये भी आ रहा है कि निशांत कुमार को जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा राजनीति की ट्रेनिंग देने में भी जुट गये हैं. और, जेडीयू से बाहर के नेता भी निशांत कुमार के राजनीति में आने का स्वागत करने लगे हैं. ऐसे नेताओं में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी शामिल हैं, जो उनको आरजेडी में आने का ऑफर दे चुके हैं.

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