
दो दोस्तों की कहानी... आपको इनमें से क्या बनना है? 15 साल में ही बदल गया सबकुछ
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आज हम ऐसे ही दो दोस्त की कहानी बताने जा रहे हैं, रवि और सोहन की. फिलहाल दोनों की उम्र 40 साल है. दोनों ने एक साथ पढ़ाई (Education) की. नौकरी की शुरुआत भी एक साथ हुई. शुरुआती सैलरी (Salary) भी रवि और सोहन की बराबर थी.
फिल्म 'थ्री इडियट्स' में एक डायलॉग है, 'दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है, लेकिन अगर दोस्त फर्स्ट आ जाए तो ज्यादा दुख होता है'. दरअसल, ये ह्यूमेन बिहेवियर है. पढ़ाई ही नहीं, कमाई में भी अगर दोस्त बहुत आगे निकल जाए तो दुख होता है. क्योंकि पढ़ाई हो या कमाई... मेहनत दोनों जगहों पर करनी पड़ती है. लेकिन बराबर मेहनत करके, बराबर सैलरी उठाकर भी कुछ दोस्त वित्तीय दौड़ में पिछड़े जाते हैं. क्योंकि एक दोस्त रणनीति के साथ सैलरी को खर्च करता है, दूसरा सैलरी मिलते ही पैसे उड़ाने लगता है.
आज हम ऐसे ही दो दोस्त की कहानी बताने जा रहे हैं, रवि और सोहन की. फिलहाल दोनों की उम्र 40 साल है. दोनों ने एक साथ पढ़ाई (Education) की. नौकरी की शुरुआत भी एक साथ हुई. शुरुआती सैलरी (Salary) भी रवि और सोहन की बराबर थी. लेकिन आज की तारीख में दोनों की वित्तीय स्थिति में बड़ा फासला हो गया है. हालांकि दोस्ती पहले जैसी ही है. लेकिन केवल एक फैसले की वजह से रवि काफी आगे निकल गया, और सोहन पिछड़ गया.
आइए अब बात करते हैं कि दोनों के बीच ऐसी क्या चीज आ गई, जिससे दोनों में फर्क देखने को मिल रहा है. दरअसल, जब रवि और सोहन 25 साल के थे, तभी दोनों को पहली नौकरी मिल गई, यानी आज से 15 साल पहले. दोनों की शुरुआती सैलरी एक समान 20 हजार रुपये महीने थी. लेकिन पहली सैलरी के साथ ही रवि और सोहन के खर्च करने के तरीके बदले गए.
नौकरी मिलते ही बढ़ गई रईसी? आज से 15 साल पहले सोहन का कहना था कि 20 हजार रुपये मिल रहे हैं, और अब ठाठ से रहेंगे. कुछ महीने में ही सोहन ने छोटे कमरे को छोड़कर शानदार लोकेशन में बड़ा कमरा रहने के लिए किराये पर ले लिया. साथ ही एक शानदार बाइक भी ले ली. रेस्टोरेंट में खाना और दोस्तों के साथ हर रोज पार्टी आम बात हो गई. इस दौरान रवि जब भी रोहित को टोकता कि ये तुम क्या कर रहे हो? सारा पैसा पार्टी और दिखावे में खर्च कर दे रहे हो, तुम्हें बचत (Saving) पर फोकस करना चाहिए. इस तरह से तुम्हें पैसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. लेकिन अक्सर सोहन का जवाब होता था कि अभी तो उम्र मौज मस्ती की है, बचत के बारे में बाद में सोचेंगे, अभी खुलकर जिंदगी जी लेने दो. जैसे-जैसे सोहन की सैलरी बढ़ती गई, उसकी रईसी भी बढ़ती गई, और बचत के नाम पर कुछ भी नहीं.
वहीं इस बीच रवि खर्च के साथ-साथ बचत पर भी फोकस कर रहा था. उसने भी दोस्तों के साथ पार्टी की, और घूमने पर भी खर्च किया, लेकिन साथ ही हर महीने तय राशि बचा भी रहा था, और उसे सही जगह पर निवेश कर रहा था. यही नहीं, जैसे-जैसे रवि की सैलरी बढ़ती रही, निवेश भी बढ़ता गया और 15 साल के बाद यानी 40 की उम्र में रवि आज वित्तीय तौर पर काफी मजबूत है. वो चाहे तो घर-गाड़ी सबकुछ एक साथ खरीद सकता है.
हालांकि इस दौरान रवि लगातार सोहन को निवेश के लिए प्रेरित करता रहा. आखिर में सोहन ने भी 35 की उम्र में निवेश (Invest) के लिए पहला कदम बढ़ा दिया, यानी पिछले 5 साल से सोहन भी बचत कर रहा है, और उसे सही जगह पर निवेश कर रहा है. लेकिन अब रवि और सोहन के पोर्टफोलियो में काफी बड़ा अंतर आ गया है. ऐसे में सोहन चाहकर भी अगले कुछ वर्षों में रवि की बराबरी नहीं कर सकता.

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