
दिल्ली, दुबई, दोस्ती... अरब के तीन शहजादे जो बदल रहे भारत के साथ डिप्लोमेसी का डायनेमिक्स?
AajTak
42 साल के दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान, 39 वर्ष के सऊदी अरब के प्रिंस सलमान और 43 साल के अबू धाबी के शेख खालिद अरब देशों की उस नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आधुनिकता, तकनीक और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देती है. रुढ़ियों को चुनौती देती है और महजब को कट्टरता नहीं प्रगतिशील नजरिये और वैश्विक हालात के चश्मे से देखती है.
राजशाही और इस्लामिक रवायतों से शासन चलाने वाले अरब देशों में नेतृत्व की एक नई पौध उभर रही है. लग्जरी और रईसी के माहौल में पले बढ़े शासक परिवारों से निकले अरब देशों के नए युवा नेता दुनियादारी को नए नजरिये से देखते हैं. ये नेता अपने देश को विश्व की नई जरूरतों के मुताबिक ढाल रहे हैं और वैसे ही नीतियां तैयार कर रहे हैं.
इनके एजेंडे में मॉर्डनाइजेशन, ग्लोबल नजरिया, धर्म और संस्कृति को लेकर नई सोच, पर्यटन को विकास शामिल है. ये नेता पारंपरिक शासन और तेल-आधारित अर्थव्यवस्थाओं से हटकर अपने देशों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहे हैं.
विकास और दोस्ती के इसी नजरिये से लैस ऐसे ही नेता और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर भारत आए हैं. 42 साल के शेख हमदान बिन मोहम्मद संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री भी हैं.
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों, लाखों प्रवासी भारतीयों और सदियों पुराने संबंधों को ध्यान में रखते हुए अरब नेतृत्व के साथ हमेशा से दोस्ताना रिश्ते रखा है. अब भारत अरब देशों में उभर रहे नेतृत्व की नई पौध को एगेंज कर रहा है, उनके साथ कदमताल कर रहा है. ये वही शाहजादे और राजकुमार हैं जिनके हाथों में आज से दस-बीस साल बाद अरब मुल्कों की कमान होगी.
दुबई के प्रिंस शेख हमदान, अबू धाबी के प्रिंस शेख खालिद और सऊदी अरब के प्रिंस सलमान जैसे युवा नेताओं के साथ जुड़ाव और सहयोग इसी रणनीति का हिस्सा है.
42 साल के शेख हमदान, 43 साल के शेख खालिद और 39 वर्ष के प्रिंस सलमान अरब देशों की उस नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आधुनिकता, तकनीक और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देती है. रुढ़ियों को चुनौती देती है और महजब को कट्टरता नहीं बल्कि वैश्विक हालात के चश्मे से देखती है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.

राष्ट्रपति पुतिन ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनकी गरिमामय उपस्थिति के साथ राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया. यह मुलाकात दो देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को दर्शाने वाली थी. पुतिन ने महात्मा गांधी के आदर्शों का सम्मान करते हुए भारत की संस्कृति और इतिहास को सराहा. इस अवसर पर राजघाट की शांतिपूर्ण और पावन वायु ने सभी को प्रेरित किया.










