
तालिबान समेत दुनिया के वो 5 आतंकी संगठन, जिन्होंने ताकत के लिए खून से लाल किए अपने हाथ
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अफगानिस्तान तो सिर्फ एक बहाना है, सच तो ये है कि बुराई का कोई वक्त, कोई दौर नहीं होता. जापान से लेकर जर्मनी तक, रूस से लेकर हिंदुस्तान तक और अब सीरिया से खुरासान तक. अपने-अपने वक्त में इन सभी जगहों पर बुराईयों की इबारत लिखी जा चुकी है. खून के दाग अगर घुड़सवारों पर है तो व्हाइट कॉलर वाले भी दूध के धुले नहीं हैं.
इस दुनिया में इंसान के साथ ऊपर वाले ने दो और चीज़ें भेजी थीं. अच्छाई और बुराई. जैसे-जैसे इंसानियत आगे बढ़ी वैसे-वैसे वक्त के साथ अच्छाई और बुराई भी बढ़ती गई. फर्क बस इतना था कि जितनी तेज़ी से अच्छाई बढ़ रही थी, उससे कई गुना तेज़ी के साथ बुराई खुद को बढ़ा रही थी. हर दौर में हमारे समाज के अंदर बुराई हावी रही. पहले लोग ज़मीन जायदाद और पैसों के लिए लड़ते थे लेकिन अब जंग पॉवर की है यानी ताकत की. इसकी मौजूदा मिसाल अफगानिस्तान में हर गुज़रते वक्त के साथ साथ गढ़ी जा रही है.
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