
टिकटॉक: चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का प्रोपेगेंडा हथियार या खालिस मनोरंजन का औजार!
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टिकटॉक टिकलिंग करता है, हमें गुदगुदाता है या फिर ये ब्रेन वॉश का एक टूल है. अगर ट्रंप न पसीजे तो टिकटॉक अमेरिका में भी इतिहास बन जाएगा. अमेरिकी सरकार इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अमेरिका के 17 करोड़ यूजर्स का ओपिनियन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हितों के अनुरूप मॉल्ड करने का दोषी मानती है.
TikTok controversy: 15 सेकेंड की कहानी, लेकिन दुनिया दीवानी. टिकटॉक के 15 सेकेंड वाले रील्स की दुनिया दीवानी तो है. इसे झुठलाया नहीं जा सकता है. बंदा जो भी कर रहा है, जहां भी है, जैसा भी है, टिक-टॉक पर आइए और 15 सेकेंड में दुनिया को अपनी कहानी बताइए. 15 सेकेंड का ये जुड़ाव टॉक्सिक है. मिनटों नहीं लगते और मिलियन में रिच. कमाई भी और पॉपुलरैटी भी. भारत में तो टिक टॉक ने स्टार्स की एक अलग ही क्लास पैदा कर दी थी जो इसी 15 सेकेंड के नेम और फेम से पैदा हुए थे.
अमेरिका को भी यही बीमारी लगी और भयंकर लगी. आप ये जानकर हैरान हो सकते हैं कि 34 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में इसके 17 करोड़ एक्टिव यूजर हैं. आप इसे अमेरिका की 50 परसेंट आबादी भी मान सकते हैं. टिकटॉक की लत तक को बात ठीक थी, अमेरिकी प्रशासन इसे तवज्जो नहीं दे रहा था. लेकिन जब रिसर्च से बात सामने आई कि टिकटॉक के जरिये अमेरिकी युवाओं का ब्रेनवॉश किया जा रहा है तो यूएस एजेंसियां चौकन्नी हो गई.
अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां बैन से पहले इसे 100 मिलियन लोगों ने यानी कि 10 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया था. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर महीने इसे तकरीबन 20 मिलियन लोग इस्तेमाल करते हैं. ये चाइनीज एप युवाओं के बीच कितना पॉपुलर था इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गूगल प्ले स्टोर पर 80 लाख लोगों ने इसका रिव्यू किया है.
शोहरत और कमाई की बारिश करने वाले इस एप के यूजर शहर तो छोड़िए गांवों और मोहल्ले तक में थे. सरकार के लिए सबसे चिंता की बात ये थी कि इसकी लत में 10-12 साल के बच्चे आ रहे थे.
इस प्लेटफॉर्म पर बॉलीवुड स्टॉर्स की मौजूदगी ने इसे और भी स्पेस दिया और ये दनादन फैलने लगा.
आखिरकार भारत सरकार का ध्यान इस एप की ओर गया. सरकार ने पाया कि चीनी स्वामित्व वाली ये कंपनी भारतीय के करोड़ों गीगाबाइट डाटा को स्टोर कर रही है. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था. ऐसी आशंकाएं थीं कि यूजर्स डेटा, जिसमें संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी शामिल हो सकती है, चीनी सरकार के साथ साझा किया जा सकता है, खासकर देश के डेटा-शेयरिंग कानूनों को देखते हुए. भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने तर्क दिया था कि ऐप देश की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन करता है, चेतावनी दी कि इस तरह के डेटा का इस्तेमाल संभावित रूप से जासूसी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

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