
जेल से आते ही केंद्र पर हमलावर सीएम केजरीवाल, 177 दिन में 100 गुना ताकत बढ़ने वाली बात के पीछे क्या हैं सियासी संकेत
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केजरीवाल भारत के पहले ऐसे नेता हैं, जो मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जेल गए थे और मुख्यमंत्री के पद रहते हुए ही जमानत पर जेल से बाहर भी आए हैं. केजरीवाल पहले कहते थे कि उनके खून का एक-एक कतरा दिल्ली के लोगों के लिए है, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद ये कहा कि उनके खून का एक-एक कतरा भारत के लोगों के लिए है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाला मामले में शुक्रवार को जमानत पर जेल से बाहर आ गए. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के लगभग 6 महीने बाद CBI के मामले में भी जमानत दे दी. केजरीवाल भारत के पहले ऐसे नेता हैं, जो मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जेल गए थे और मुख्यमंत्री के पद रहते हुए ही जमानत पर जेल से बाहर भी आए हैं. केजरीवाल पहले कहते थे कि उनके खून का एक-एक कतरा दिल्ली के लोगों के लिए है, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद ये कहा कि उनके खून का एक-एक कतरा भारत के लोगों के लिए है. केजरीवाल जेल से बाहर आते ही केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर नजर आए.
केजरीवाल जिस तरह से बाहर आए, ऐसा लगता है कि वो जेल से एक राष्ट्रीय नेता बनकर बाहर आए हैं और उन्होंने ये भी कहा है कि मैं सच्चा था, मैं सही था इसलिए भगवान ने मेरा साथ दिया. और जेल से बाहर आने के बाद उनकी ताकत अब 100 गुना बढ़ गई है. यानी उनका कहना है कि 177 दिन जेल में रहकर उनकी ताकत 100 गुना बढ़ गई. केजरीवाल जब अपने घर पहुंचे तो उनकी 80 वर्षीय मां ने उन्हें तिलक लगाकर स्वागत किया. अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने भी पार्टी नेताओं को लड्डू खिलाकर केजरीवाल के बाहर आने का जश्न मनाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के प्लान को फेल कर दिया है.
अब सवाल है कि आगे क्या होगा? आगे हरियाणा चुनाव है. हरियाणा, जहां केजरीवाल और कांग्रेस में समझौता सीटों पर हो नहीं पाया है. तब वहां प्रचार करने केजरीवाल जाएंगे तो क्या कांग्रेस के लिए नुकसान और बीजेपी के लिए फायदा हो सकता है? दिल्ली और पंजाब तक कांग्रेस को ही पीछे करके सत्ता तक केजरीवाल अपनी पार्टी को ला चुके हैं. तब इन दोनों राज्यों के बीच हरियाणा है. हरियाणा में मतदान में अभी 22 दिन बाकी हैं और शराब घोटाले से जुड़े आरोपी सभी नेता जेल से जमानत पर बाहर आ चुके हैं.
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हरियाणा चुनाव में AAP की बढ़ी ताकत?
अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया. पार्टी के तीनों सबसे बड़े नेता अभी बेल पर बाहर हैं. तब क्या हरियाणा में आम आदमी पार्टी कोई सफलता हासिल कर सकती है? दरअसल, 2014 से 2024 तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हरियाणा के भीतर आम आदमी पार्टी का वोट गणित देखें तो ना तो सांसदी में जीत मिली, ना विधायकी में. वोट शेयर साढ़े चार फीसदी तक नहीं पहुंच पाया. पिछली बार विधानसभा चुनाव में तो पार्टी के सारे उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हुई है. अब की बार केलोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ उतरने पर भी जीत केजरीवाल के कैंडिडेट की हरियाणा में नहीं हो पाई है.

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