जाट बाहुल्य इलाकों में खतरे में बीजेपी! शुरू हुआ 'मिशन डैमेज कंट्रोल'
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अब तक बीजेपी के नेता लगातार यही कहते या दावा करते आ रहे थे कि सारे विरोध का केंद्र पंजाब ही है औऱ बाकी अन्य राज्यों में कोई विरोध नहीं है. लेकिन अब मामला गड़बड़ होता नजर आ रहा है.
दिल्ली की सीमाओं पर पिछले तीन महीनों से चल रहे किसान आंदोलनों और उसके राजनीतिक प्रभावों पर बीजेपी में सुगबुगाहट शुरू हो गई है. हालांकि बीजेपी के शीर्षस्थ नेता शुरू से ही इसे पंजाब केंद्रित बताते आ रहे हैं, लेकिन 26 जनवरी की घटना और हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरणों के बीच आंदोलन के बदलते स्वरूप को देखते हुए बीजेपी ने भी नए सिरे से किलेबंदी की कवायद शुरू कर दी है. और इस कवायद के केंद्र में हैं वो 40 लोकसभा सीटें, जिन्हें परंपरागत तौर पर जाट बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. ये सीटें हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक राजस्थान में भी फैली हैं और जिनके बारे में कहा जाता है कि जाट मतदाता जिस करवट बैठता है, जीत उसी को होती है. बीजेपी की नई किलेबंदीराज्यपाल ने संकट में फंसे लोगों को तुरंत मदद देने के लिए एक क्विक रिस्पांस टीम का गठन भी किया है. उन्होंने कहा कि ज़रूरतमंद लोगों को आवास और परिवहन भी मुहैया कराया जाएगा. राज्यपाल ने सभी लोगों से संयम बरतने और उपद्रवियों की ओर से शांति भंग करने या संभावित हिंसा के बारे में किसी भी जानकारी की सूचना राजभवन को देने की अपील की है.
मनाली के ब्यास नदी के पास उत्तर प्रदेश की रहने वाली दो महिलाएं सेल्फी ले रही थी. पैर फिसलने से दोनों ब्यास नदी में डूब गईं और दोनों की मौत हो गई. पुलिस का कहाना है कि उत्तर प्रदेश के बागपत की रहने वाली आंचल का शव घटनास्थल से कुछ दूरी पर बरामद किया गया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. दूसरी महिला का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है.
झारखंड के डीजीपी (DGP) अजय कुमार सिंह ने राजधानी रांची की कानून व्यवस्था को बेहतर करने को लेकर समीक्षा बैठक की. बैठक में रांची जोन के आईजी, डीआईजी, एसएसपी, सिटी एसपी समेत अन्य पुलिस पदाधिकारी शामिल हुए. इस दौरान डीजीपी ने कहा है कि झारखंड में पहली बार सभी 14 सीटों पर हिंसा के बिना मतदान संपन्न हुआ है.
सुकमा में 17 लाख के इनामी 5 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. उसने राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे पुनर्वास योजना का लाभ दिया गया है. सभी का कहना है कि वे लोग माओवादी विचारधारा से पूरी तरह ऊब चुके थे. इस कारण उसने सरेंडर करने का निर्णय लिया. वहीं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट उनका स्वागत किया है.