'जनगणना कराना केंद्र का अधिकार', केंद्र ने अपने हलफनामे से हटाया ये पैरा, SC में दाखिल किया नया शपथपत्र
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केंद्र सरकार ने बिहार में जातीय गणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया है. इसमें केंद्र ने हलफनामे के पैरा-5 को हटा दिया है, जिसमें कहा गया था कि जनगणना या जनगणना जैसी कोई प्रक्रिया कराने का अधिकार केंद्र सरकार को ही है.
बिहार में जातीय जनगणना का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने नया हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र ने संशोधित हलफनामे में कहा है कि पैरा-5 अनजाने में शामिल हो गया था. दरअसल इस पैरा में ही था कि केंद्र सरकार ही जनगणना या जनगणना जैसी कोई भी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत है.
केंद्र सरकार ने नए हलफनामे में से पैरा-5 हटा लिया है. केंद्र ने कहा था कि जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है और जनगणना अधिनियम 1948 के तहत शासित होती है. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि जनगणना का विषय सातवीं अनुसूची में संघ सूची प्रविष्टि 69 के तहत शामिल है.
हालांकि इस नए हलफनामे में भी सरकार का कहना है सेंसस एक्ट,1948 के तहत भी सिर्फ केंद्र सरकार को समग्र जनगणना कराने का अधिकार है, लेकिन इस नए हलफनामे में 'जनगणना जैसी कोई अन्य प्रक्रिया' शब्द को हटा दिया गया है.
'जनगणना कराना केंद्र का अधिकार', बिहार सरकार के कदम का SC में विरोध
जनगणना नहीं जातिगत सर्वे: बिहार सरकार
कानून के जानकारों के मुताबिक, राज्य सरकार अपने यहां किसी भी तरह का सर्वेक्षण करा सकती है. किसी सर्वेक्षण या आंकड़े जुटाने के लिए कोई कमेटी या आयोग बना सकती है. इसी अधिकार के तहत तो उत्तराखंड ने यूसीसी के लिए कमेटी बनाई और सर्वेक्षण करा कर आंकड़े जुटाए. बिहार सरकार के हलफनामे में भी यह गौर करने लायक है कि वो जनगणना तो करा ही नहीं रही है, वो सिर्फ जातिगत सर्वे करा रही है.
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