
चुनावों में दखल से लेकर देश के हर हिस्से में US आर्मी की मौजूदगी, क्या वाकई अमेरिकी कब्जे में है बर्लिन?
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जर्मनी के आम चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत के साथ ही फ्रेडरिक मर्ज के चांसलर बनने का रास्ता साफ हो गया. इस वक्त जब अमेरिका और यूरोप के रिश्तों में बर्फ जमती दिख रही है, ऐन तभी मर्ज ने बड़ा बयान देते हुए जर्मनी को असल मायनों में अमेरिका से आजाद कराने की बात कर दी. बर्लिन को लेकर ऐसी बातें पहले भी हो चुकीं.
जर्मनी में रूढ़िवादी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) इस चुनाव में सबसे बड़ा दल बन गई. सरकार बनाने के लिए भले ही उसे अलायंस तैयार करना हो लेकिन इस बीच फ्रेडरिक मर्ज चांसलर पद के लिए सबसे दमदार दावेदार हैं. अमेरिका जर्मनी में दक्षिणपंथ की जीत पर खुशी जता रहा है, दूसरी तरफ संभावित चांसलर जर्मनी को असल अर्थों में यूएस से आजादी दिलाने की बात कह चुके. ये अपने-आप में बहुत बड़ा बयान है, और ऐसा पहली बार नहीं. इससे पहले रूस भी जर्मनी को अमेरिका के कब्जे में बता चुका.
क्या कहा मर्ज ने इलेक्शन रिजल्ट आते ही सीडीयू के नेता ने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता यूरोप को मजबूत करना है ताकि हम अमेरिका से असल आजादी पा सकें.
अब सवाल उठता है कि जर्मन लीडर ने इतनी बड़ी बात क्यों कही और वॉशिंगटन से असल मायनों में स्वतंत्रता का क्या मतलब है?
द कन्वर्सेशन ने इसपर एक डिटेल्ड रिपोर्ट की. इसमें माना गया कि मर्त्स का बयान ट्रंप के हालिया रवैए से प्रेरित हो सकता है. असल में वाइट हाउस आते ही ट्रंप ने कई बड़ी बातें की, जिनमें से कई सीधे यूरोप से जुड़ी हुई थीं. उन्होंने डिफेंस बजट न बढ़ाने पर जर्मनी समेत तमाम यूरोपियन देशों को लताड़ा. कॉफिन पर कील ये बात रही कि अमेरिका यूक्रेन से रूस की लड़ाई खत्म करने की बात तो कर रहा है, लेकिन इसमें यूरोपियन यूनियन को शामिल ही नहीं किया गया. इस बात को लेकर बर्लिन में नाराजगी है, खासकर तब जबकि जर्मनी ने लड़ाई शुरू होने के बाद से कीव की सीधी आर्थिक और सैन्य मदद की.
एलन मस्क की जर्मन चुनाव में दखलंदाजी भी पार्टी को खली. याद दिला दें कि मस्क ने कट्टर दक्षिणपंथी दल अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी को खुला सपोर्ट करते हुए जर्मन्स को नाजी गिल्ट से बाहर आने को कहा था. मर्त्स ने साफ कहा था कि मस्क को इस तरह दखल देने से बचना चाहिए था.

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