
क्रिप्टो डील, ट्रंप फैमिली कनेक्शन और आसिम मुनीर की मौजूदगी... क्या हमास मॉडल अपना रहा है पाकिस्तान?
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था महंगाई, घटते विदेशी भंडार और बढ़ते व्यापार घाटे से त्रस्त है. हाल ही में पाकिस्तान ने IMF से $1 बिलियन की सहायता राशि हासिल की है, जिसमें शर्त रखी गई है कि टैक्स नेटवर्क को बढ़ाया जाए और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाया जाए.
वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने क्रिप्टो करेंसी की ओर रुख किया है. IMF से बेलआउट लेने वाला और चीन की वित्तीय सहायता पर पल रहा पाकिस्तान अब डिजिटल मुद्राओं में संभावनाएं तलाश रहा है, जिससे कई सवाल खड़े होने लगे हैं. इससे पहले PAK में क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा था. अब अचानक डिजिटल मुद्राओं में इस्लामाबाद की दिलचस्पी चौंका रही है.
फिलहाल, PAK की अर्थव्यवस्था महंगाई, घटते विदेशी भंडार और बढ़ते व्यापार घाटे से त्रस्त है. हाल ही में पाकिस्तान ने IMF से $1 बिलियन की सहायता राशि हासिल की है, जिसमें शर्त रखी गई है कि टैक्स नेटवर्क को बढ़ाया जाए और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाया जाए. इसी के तहत क्रिप्टो परिसंपत्तियों को भी नियामकीय निगरानी में लाया गया है.
आधिकारिक दावा और जिओ पॉलिटिकल साजिश?
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का दावा है कि यह कदम फिनटेक इनोवेशन, युवाओं के सशक्तिकरण और भेजे गए धन के प्रवाह में सुधार के लिए उठाया गया है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे जिओ पॉलिटिक्स के कारण छिपे हैं और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
FATF की नजर और टेरर मनी का खतरा
दरअसल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सूची से बचने के लिए पाकिस्तान ने कई प्रयास किए हैं, लेकिन भारत और पश्चिमी देशों ने बार-बार आतंकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान पर सवाल उठाए हैं. PAK पर आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगते आए हैं. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल धन शोधन और आतंक वित्तपोषण के लिए किए जाने का खतरा बढ़ जाता है.

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