
क्या है UN शिखर सम्मेलन, क्या इसमें भारत को मिल सकती है सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता?
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इस बार की यूनाइटेड नेशन्स समिट को भविष्य का शिखर सम्मेलन कहा जा रहा है. न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में यह 22 और 23 सितंबर को होने जा रहे सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि ये मीटिंग कई बड़े ग्लोबल मुद्दों को किसी फैसले की तरफ ले जाने वाली साबित हो सकती है.
दुनिया के कई हिस्सों में चल रही बाहरी-भीतरी लड़ाइयों के बीच अमेरिका के यूएन हेडक्वार्टर में शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इसमें भारत से पीएम नरेंद्र मोदी न केवल शामिल होंगे, बल्कि 23 सितंबर को शिखर सम्मेलन को संबोधित भी करने वाले है. बेहद अस्थिरता के बीच होने जा रही बैठक को समिट ऑफ द फ्यूचर भी कहा जा रहा है. जानें, क्या हैं इसके मायने, और भारत की इसमें कितनी भूमिका रहेगी.
यूएन शिखर सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा भी कहा जाता है. आम बोलचाल में शिखर सम्मेलन का मतलब है, एक ही विषय पर दिलचस्पी रखने वालों की मुलाकात और चर्चा, जिसमें कुछ निर्णय लिए जाते हैं. यूएन शिखर सम्मेलन की बात करें तो ये ग्लोबल नेताओं को एक मंच पर लाने और इंटरनेशनल मुद्दों पर बात करने के लिए बना है. शिखर सम्मेलन केवल संयुक्त राष्ट्र का नहीं, बल्कि कई देशों या क्षेत्रों का हो सकता है, जैसे कोई समिट केवल पर्यावरण पर बात करे, या कहीं केवल बिजनेस पर चर्चा हो.
यूएन समिट का क्या मकसद - ग्लोबल प्रॉब्लम्स जैसे, क्लाइमेट चेंज, युद्ध, महंगाई, गरीबी और महामारियों पर बात करना. - सदस्य देशों के बीच अलग-अलग मामलों में सहयोग बढ़ाना, या तनाव कम करना. - यूनाइटेड नेशन्स चार्टर के तहत शांति और सुरक्षा पक्की करने के लिए पॉलिसी लेवल पर फैसले.
इस बार का क्या है मुद्दा हर साल एक एजेंडा तय होता है, बातचीत उसी के आसपास होती है. इस बार इसे समिट ऑफ द फ्यूचर कहा जा रहा है, जो दो बातों के आसपास घूमता है- पीपल और प्लानेट. यानी लोगों और धरती को बचाने से जुड़े मुद्दों पर कॉमन ग्राउंड तैयार हो सकता है. इसके लिए 20 पेजों का एक दस्तावेज भी बना है- पैक्ट ऑफ द फ्यूचर. यह एक तरह का एक्शन प्लान है, जिसपर सदस्य देश बात करेंगे.
यूएन के लिए यह बड़ा और बेहद नाजुक मौका है. साल 2030 के लिए यूएन ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल तय कर रखा है. साल 2015 में तय हुए इन गोल्स में सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरण से जुड़े कई इश्यू सुलझाने होंगे ताकि यूएन का महत्व बना रहे.

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