क्या सऊदी अरब को नहीं फिलिस्तीन की परवाह? इजरायल के साथ शांति पर US को भेजा ये संदेश
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सऊदी अरब और इजरायल के बीच शांति समझौते पर लंबे समय से बातचीत चल रही थी. प्रिंस मोहम्मद अपने देश को सुरक्षित करना चाहते हैं और इस मोर्चे पर वह किसी तरह का रोड़ा नहीं चाहते. गाजा युद्ध के बीच सऊदी का रुख स्पष्ट है और एमबीएस इजरायल से सिर्फ फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने पर सिर्फ सहमति चाहते हैं. आइए समझते हैं पूरा मामला.
इजरायल और हमास की जंग कमोबेश तीन महीने से चल रही है. इस दौरान इजरायली सेना ने तमाम गाजा में जबरदस्त तबाही मचाई. महिलाओं और बच्चों की मौतों और गाजा की तबाही पर कोई अगर खामोश रहा तो वो है अरब मुल्क, जो इजरायल के साथ शांति कायम करने की चाहत रखते हैं. सऊदी अरब भी इजरायल के साथ शांति समझौते की जद्दोजहद में जुटा है. अमेरिका में इसी साल आम चुनाव है और इससे पहले मोहम्मद बिन सलमान रक्षा की डील फाइनल करना चाहते हैं.
सऊदी अरब की कोशिश है कि इजरायल बस इतना कबूल कर ले कि वो फिलिस्तीन को एक अलग देश के रूप में मान्यता देगा और मांग के मुताबिक, फिलिस्तीन की सीमा स्वीकार करेगा. मसलन, एमबीएस चाहते हैं कि इजरायल लंबे समय से चल रहे टू-स्टेट फॉर्मूले पर कम से कम अपनी सहमति दे दे. अक्टूबर में हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद सऊदी-इजरायल के बीच होने वाले संभावित समझौते को स्थगित करना पड़ा था.
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सऊदी अरब की सुरक्षा एमबीएस के लिए अहम
प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब को सुरक्षित करने और "दुश्मन" ईरान के खतरों को दूर करने के लिए उत्सुक हैं. वह सऊदी अरब की तेल पर निर्भरता कम करने की कोशिश में हैं और यही वजह है कि वह अमेरिका का दामन थामे रखना चाहते हैं. शांति समझौते के बाद एमबीएस को यह उम्मीद है कि सऊदी की सुरक्षा बढ़ेगी और साथ ही अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.
प्रिंस मोहम्मद के बारे में कहा जाता है कि वह सऊदी को 2030 तक तेल इकोनॉमी से मुक्त करने के अपने विजन पर काम कर रहे हैं और इस दौरान वह किसी भी तरह का रोड़ा नहीं चाहते. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में मोहम्मद के करीबी सूत्रों के हवाले से बताया था कि उन्हें 'फिलिस्तीन के मुद्दे पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.' मसलन, फिलिस्तीन के मुद्दे पर एमबीएस का रुख स्पष्ट है और सऊदी को सुरक्षित करने की दिशा में किसी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं हैं.