क्या आज ED के चौथे समन पर पेश होंगे CM Kejriwal? दिल्ली में एक इवेंट में होंगे शामिल, फिर तीन दिन के गोवा दौरे पर जाएंगे
AajTak
शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने 18 जनवरी को पेश होने के लिए चौथा समन भेजा था. हालांकि, केजरीवाल ED दफ्तर जाएंगे या नहीं, इस बारे में अब तक मुख्यमंत्री दफ्तर से कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है.
दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आज यानी गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर जाएंगे या नहीं? यह साफ नहीं हो सका है. ईडी ने कुछ दिन पहले ही केजरीवाल को पूछताछ के लिए चौथा समन जारी किया था. ईडी ने केजरीवाल को 18 जनवरी को पेश होने के लिए कहा था. ईडी इससे पहले केजरीवाल को 2 नवंबर, 21 दिसंबर और 3 जनवरी को पूछताछ के लिए समन भेज चुकी है. लेकिन दिल्ली के सीएम ने इन तीनों समन को स्किप कर दिया था और इन्हें गैर कानूनी बताया था.
केजरीवाल के गुरुवार को ईडी दफ्तर जाने के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय ने अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है. हालांकि, दोपहर 12 बजे अरविंद केजरीवाल दिल्ली में शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे और इस कार्यक्रम के ठीक बाद केजरीवाल, भगवंत मान के साथ गोवा के लिए रवाना हो सकते हैं.
'कानून के हिसाब से काम करेंगे'
एक दिन पहले बुधवार को जब अरविंद केजरीवाल से ED के चौथे समन के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'जो भी कानून संगत काम है उसे कानून के हिसाब से करेंगे.' केजरीवाल का लोकसभा चुनाव की तैयारियों मद्देनजर गुरुवार से गोवा का दौरा शुरू हो रहा है.
तीन दिन गोवा में रहेंगे केजरीवाल
केजरीवाल गोवा में 18, 19 और 20 जनवरी तक रहेंगे और वहां आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही पब्लिक रैली को भी संबोधित कर सकते हैं.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.