
कौन हैं सुधा यादव जो BJP संसदीय बोर्ड में हुईं शामिल, सुषमा स्वराज के निधन से खाली हुई थी जगह
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सुधा यादव राजनीति में नया नाम नहीं हैं बल्कि उनका राजनीतिक जीवन देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से शुरू हुआ था. साल 1999 में करगिल युद्ध के बाद हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने सुधा यादव का नाम BJP को तब सुझाया जब पार्टी हरियाणा में महेंद्रगढ़ की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के सामने किसको चुनावी मैदान में उतारे के सवाल से जूझ रही थी.
2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों का बिगुल फूंकने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में बुधवार यानी आज बीजेपी ने अपने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का नए सिरे से गठन किया.
पार्टी ने अपने दिग्गज नेता नितिन गडकरी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया है जबकि बीएस येदयुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव और सत्यनारायण जटिया को नए चेहरे को तौर पर बोर्ड में शामिल किया है.
कब शुरू हुआ सियासी सफर?
इस फेरबदल के बाद गडकरी और चौहान के बोर्ड से बाहर होने के कारणों पर तो चर्चा हो ही रही है, बोर्ड में शामिल हुईं एक मात्र महिला सदस्य डॉ. सुधा यादव (Dr. Sudha Yadav) का नाम भी चर्चा में है. चर्चा इसलिए क्योंकि सुधा यादव से पहले बोर्ड में एकमात्र महिला सदस्य स्वर्गीय सुषमा स्वराज हुआ करती थीं जो 2014 से पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं और मोदी सरकार बनने के बाद देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनीं .
ऐसे में सुधा यादव कौन हैं? वो कहां से आती हैं? कैसे उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ जैसे सवाल गूगल पर सर्च किए जाने लगे.
तब नरेंद्र मोदी थे हरियाणा में पार्टी के प्रभारी

नवंबर में गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जबकि दिल्ली चौथे स्थान पर रही. उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई शहरों ने भी उच्च PM2.5 स्तर दर्ज किए. पराली जलाने का प्रभाव कम होने के बावजूद प्रदूषण अधिक रहा. शिलांग सबसे स्वच्छ शहर रहा. रिपोर्ट ने वर्षभर के प्रदूषण के मुख्य स्रोत परिवहन, उद्योग और ऊर्जा संयंत्र बताए हैं.

लोकसभा में शुक्रवार को कई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए गए, जिनमें सुप्रिया सुले का राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 शामिल है, जो कर्मचारियों को ऑफिस समय के बाद काम से जुड़े कॉल और ईमेल से मुक्त रहने का अधिकार देने का प्रस्ताव करता है. कांग्रेस सांसद कडियम काव्या का मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 और लोजपा सांसद शंभवी चौधरी का बिल महिलाओं और छात्राओं के लिए पेड पीरियड लीव सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.

दिल्ली के टिकरी कलां में एक किराना दुकान में आग लगने से पति-पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई. दुकान के अंदर धुआं भरने के बीच करंट लगने के कारण शटर नहीं खुल पाया और दोनों बाहर नहीं निकल सके. पुलिस ने बताया कि आग शॉप काउंटर में शॉर्ट सर्किट से लगी, जिससे प्लास्टिक सामग्री ने आग पकड़ ली और धुआं तेजी से फैल गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

इंडिगो संचालन संकट के कारण कई उड़ानें रद्द होने और क्षमता घटने से अचानक बढ़े किरायों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने घरेलू उड़ानों पर अधिकतम किराया सीमा लागू कर दी है, जिसके तहत 500 किमी तक 7,500 रुपये, 500–1000 किमी के लिए 12,000 रुपये, 1000–1500 किमी के लिए 15,000 रुपये और 1500 किमी से अधिक दूरी के लिए 18,000 रुपये से ज्यादा किराया नहीं लिया जा सकेगा.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो को निर्देश दिया है कि सभी लंबित रिफंड 7 दिसंबर रात 8 बजे तक बिना देरी पूरी तरह लौटा दिए जाएं और रद्द हुई उड़ानों से प्रभावित यात्रियों से कोई री-शेड्यूलिंग शुल्क न लिया जाए. मंत्रालय ने स्पेशल पैसेंजर सपोर्ट और रिफंड सेल बनाने, प्रभावित यात्रियों से खुद संपर्क करने और ऑटोमेटिक रिफंड सिस्टम जारी रखने को कहा है.

श्रीनगर इन दिनों एक ब्लैक बियर से परेशान है. कभी NIT कैंपस, कभी कश्मीर यूनिवर्सिटी, तो कभी SKIMS... अब यह भालू निगीन झील के आसपास घूमता दिखा है. विभाग ने शहरभर में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें ड्रोन, ट्रैंक्विलाइजर गन, रैपिड-रिस्पॉन्स टीमें और एंबुलेंस तैनात हैं. अधिकारियों ने कहा है कि बाहर केवल जरूरत होने पर ही निकलें.

इंडिगो के ऑपरेशनल संकट का असर 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ. देश के कई बड़े एयरपोट्स पर आज सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों यात्री परेशान देखे गए. कई एयरपोर्ट पर यात्रियों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा. कुछ जगह इंडिगो के काउंटर्स पर सहयोग ना करने की शिकायतें सामने आईं. कंपनी लगातार शेड्यूल में बड़े बदलाव कर रही है. अब तक 11 बड़े एयरपोर्ट्स पर कुल 571 फ्लाइट्स रद्द हो चुकी हैं.






