
'कॉलेज में काफी आक्रामक थीं रेखा गुप्ता, लेकिन अब...', अलका लांबा ने सुनाया साल 1995 का वो किस्सा
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अलका लांबा ने कहा कि जब बीजेपी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान किया तो मैं सीधे 30 साल पीछे चली गई. अभी 2025 है लेकिन वो समय था 1995 का. तब हमारे पास मोबाइल फोन नहीं थे. अल्बम हुआ करती थी तो मैंने अल्बम खोजकर उसमें से एक बेहद खूबसूरत तस्वीर निकाली.
दिल्ली को नई मुख्यमंत्री मिल गई है. रेखा गुप्ता ने दिल्ली सीएम के तौर पर आज पद की शपथ ली. उन्हें उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. रेखा गुप्ता की इस उपलब्धि पर कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कॉलेज के दिनों का 1995 का पुराना किस्सा याद किया.
अलका लांबा ने कहा कि जब बीजेपी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान किया तो मैं सीधे 30 साल पीछे चली गई. अभी 2025 है लेकिन वो समय था 1995 का. तब हमारे पास मोबाइल फोन नहीं थे. अल्बम हुआ करती थी तो मैंने अल्बम खोजकर उसमें से एक बेहद खूबसूरत तस्वीर निकाली.
लांबा ने कहा कि उस समय मैं एनएसयूआई से दिल्ली यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष चुनी गई थीं. बाकी के तीनों पद उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव एबीवीपी के खाते में गए थे. रेखा गुप्ता सचिव चुनी गई थीं. तब हमने मिलकर पद की शपथ ली थी. यह तस्वीर उसी शपथ ग्रहण की है. उस समय हमारी उम्र 20 साल थी. हमने एक साथ मिलकर काम किया.
अलका लांबा ने कहा कि हमारे बीच विचारधारा की लड़ाई शुरू से है. विचारधारा की ये लड़ाई थी, है और रहेगी. एबीवीपी की विचारधारा की वजह से ये लोग कॉलेज में आरएसएस के लोगों को बुलाकर लेक्चर कराया करते थे. हम गांधीवादी विचारधारा के लोग थे. हम इसके बिल्कुल विरोध में थे और अभी भी है. लेकिन हमने साथ मिलकर भी काम किया है. हम महिलाओं के मुद्दों पर डटकर खड़े हो जाया करते थे. मैं साइंस स्टूडेंट थी.
उन्होंने कहा कि रेखा गुप्ता उस समय भी बहुत आक्रामक थीं और आज भी हैं. अभी कुछ दिन पहले मेरे पास उनका एक वीडियो आया, जिसमें वह पार्षद रहते हुए बेहद आक्रामक नजर आ रही हैं. वह जब पार्षद थी तो मैं पार्षद नहीं थी और जब 2015 से 2020 तक मैं विधायक बनी तो वह विधायक नहीं थी तो इस तरह हम कभी एक सदन में मिलकर काम नहीं कर पाए. सदन में हमें एक साथ बैठने का मौका नहीं मिला.
लांबा ने कहा कि लेकिन मैंने उन्हें सीएम बनने पर शुभकामनाएं दी हैं लेकिन साथ ही नसीहत भी दी है. रेखा ने भी शायद कभी नहीं सोचा होगा कि वो पार्षद से विधायक और फिर सीधे मुख्यमंत्री हो जाएंगी. लेकिन सदन में उनका जो आचरण है वह सही नहीं है. अगर सीएम के तौर पर विपक्ष का कोई सदस्य इस तरह का आचरण करेगा तो वह क्या करेंगी? उन्होंने पार्षद रहते हुए सरकारी संपत्ति तोड़ी है, माइक और पोडियम तक तोड़ डाले हैं. वो वीडियो हमारे पास है. इस वजह से हमने उन्हें नसीहत दी है कि इस तरह का व्यवहार रहा तो हम पीछा नहीं छोड़ने वाले.

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