केरल: चुनाव आयोग के प्रति 'संवेदना व्यक्त करने वाला' पोस्टर शेयर करने पर शख्स के खिलाफ FIR
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पुलिस ने सोशल मीडिया पर 'चुनाव आयोग के प्रति संवेदना' वाला पोस्टर साझा करने के आरोप में कक्कनड निवासी मोहम्मद शाजी (51) के खिलाफ मामला दर्ज किया है. FIR में कहा गया है कि पोस्ट को समाज में नफरत को बढ़ावा देने के इरादे से शेयर किया गया था. केरल की 20 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव 26 अप्रैल को हुआ था.
केरल पुलिस ने फेसबुक पर कथित तौर पर भारत के चुनाव आयोग के प्रति 'संवेदना व्यक्त करने वाला' (condolences to Election Commission) पोस्टर पोस्ट करने के आरोप में कोच्चि निवासी एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने सोशल मीडिया पर 'चुनाव आयोग के प्रति संवेदना' वाला पोस्टर साझा करने के आरोप में कक्कनड निवासी मोहम्मद शाजी (51) के खिलाफ मामला दर्ज किया है. न्यूज एजेंसी ने ये जानकारी दी.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि मामला शुक्रवार को दर्ज किया गया था और हमने उसे गिरफ्तार कर लिया था. उसे शुक्रवार को ही जमानत पर रिहा कर दिया गया. मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसावे देना) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के संबंध में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत दर्ज किया गया था.
FIR में कहा गया है कि पोस्ट को समाज में नफरत को बढ़ावा देने के इरादे से शेयर किया गया था. केरल की 20 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव 26 अप्रैल को हुआ था. हाल में चुनाव आयोग पर पक्षपात करने के आरोप लगते रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग हमारे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई तो करता है पर पीएम मोदी के प्रति कोई एक्शन नहीं लेता. हाल में पीएम मोदी के भाषण में मंगलसूत्र का जिक्र करने को लेकर भी विपक्ष ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी.
चुनाव आयोग ने 16 अप्रैल को प्रेस रिलीज जारी कर बताया था कि एक महीने में आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में 200 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं और 169 मामलों में कार्रवाई की गई है. आयोग ने बताया कि आचार संहिता लागू होने के एक महीने के भीतर 7 राजनीतिक पार्टियों के 16 प्रतिनिधियों ने मिलकर शिकायतें दर्ज कराई हैं. सबसे ज्यादा शिकायत कांग्रेस और बीजेपी ने दर्ज कराई थीं.
आचार संहिता का उल्लंघन कब माना जाएगा? अगर कोई भी उम्मीदवार या नेता जाति या संप्रदाय के आधार पर वोट मांगता है. ऐसा कुछ करता है जिससे अलग-अलग जातियों, समुदायों, धर्मों या भाषाई समूहों के बीच मतभेद बढ़ने का खतरा हो या आपसी घृणा और तनाव पैदा हो सकते हों. असत्यापित आरोपों के आधार पर या बयानों को तोड़-मरोड़ दूसरी पार्टी के नेताओं या कार्यकर्ताओं की आलोचना की जाती है तो. किसी भी धार्मिक स्थल का भाषण या पोस्टर या चुनावी प्रचार से जुड़े काम में इस्तेमाल किया गया हो. वोटरों को धमकाना, लालच देना, पैसा देना, शराब बांटना, प्रचार थमने के बावजूद रैली करना या फिर वोटरों को पोलिंग बूथ तक ले जाना भी आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है.
पीठ ने कहा, "हाई कोर्ट याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर गुण-दोष के आधार पर और यथासंभव शीघ्रता से विचार कर सकता है. हाई कोर्ट इस मामले पर नए सिरे से और कानून के अनुसार विचार कर सकता है." पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रात भर की पूछताछ के बाद पिछले साल 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था.
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