कस्टमर केयर ऑफिसर बनकर 2500 लोगों से साइबर फ्रॉड का बंगाल से मिला सुराग, 1 साल में हुई 12500 सिम कार्ड की हुई डिलीवरी, छह अरेस्ट
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दिल्ली पुलिस ने बैंकों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों के कस्टमर केयर अधिकारी बनकर हजारों लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया है. पुलिस ने इस मामले में झारखंड और बंगाल से छह लोगों को अरेस्ट किया है. इसके अलावा पुलिस ने उनके पास से अब तक 20 लाख रुपये भी बरामद कर लिए हैं. अब यह रकम पीड़ितों को रिफंड की जा रही है.
दिल्ली पुलिस ने बैंकों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों के कस्टमर केयर अधिकारी बनकर 2,500 से ज्यादा लोगों को ठगने के आरोप में झारखंड के जामताड़ा से पांच लोगों को अरेस्ट किया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से एक सिम कार्ड सप्लायर को भी दबोचने का दावा किया है. पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने इंटरनेट पर अपने फोन नंबर बैंकों और ई-कॉमर्स साइटों के कस्टमर केयर हेल्पलाइन के रूप में पोस्ट कर दिए थे. इसके बाद जब कोई बैंक खाताधारक उस नंबर पर कॉल करता था तो ठगों को बैंक में रजिस्टर्ड उनके फोन नंबर से पूरी जानकारी मिल जाती थी. इसके बाद वे खाताधारकों के अकाउंट से पैसे निकाल लेते थे.
पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान जामताड़ा के निजामुद्दीन अंसारी (23), अफरोज आलम (23), मोहम्मद आमिर अंसारी (22), सरफराज अंसारी (22) और अफरोज अंसारी (22) और मुर्शिदाबाद के नसीम मालित्य (31) के रूप में की है. पुलिस की पड़ताल में पता चला कि जामताड़ा में जालसाजों को मालित्य ने एक साल में 12500 प्री-एक्टिवेटिड सिम कार्ड मुहैया कराए थे. पुलिस को मालित्य के पास से 21,000 से ज्यादा सिम कार्ड बरामद हुए हैं.
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दुबई से दिल्ली आया शख्स हो गया था शिकार
पुलिस ने बताया कि दुबई में रहने वाला एक व्यक्ति अपनी बेटी से मिलने दिल्ली आया था. वह अपनी बेटी की बैंक पासबुक को अपडेट करवाना चाहता था इसलिए वह इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर की तलाश कर रहा था. उसने जब दिए गए नंबर पर फोन किया तो दूसरे तरफ से व्यक्ति ने कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव बनकर उससे अपने फोन पर 'एनीडेस्क' एप्लिकेशन डाउनलोड करने को कहा.
इसके बाद जालसाज ने फिर व्यक्ति को अपने नेट बैंकिंग खाते में लॉग इन करने के लिए कहा, जिसके बाद उसके खाते से दो बार में 9.5 लाख रुपये और 50,000 रुपये निकल गए. इसके बाद उन्होंने पुलिस से शिकायत की. जांच में पता चला कि इन ठगों ने कॉल फॉर्वर्डिंग मैथड का इस्तेमाल किया और अपनी जगह छुपाने के लिए उन्होंने वेबपेज कस्टमर फोन नंबरों को बार-बार बदला.
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