कर्नाटक में कांग्रेस के काम आया बीजेपी का ये नारा, अब आगे के लिए तैयार की रणनीति
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कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव प्रचार से पहले अपनी कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी में बदलाव किया. इस दौरान पार्टी ने तय किया कि वह बीजेपी की राह पर न चलकर यानी धर्म और राष्ट्रवाद पर नहीं बल्कि लोकल मुद्दों को अपने प्रचार में शामिल करेगी. कांग्रेस ने पूरा चुनाव लोकल फॉर वोकल एजेंडे पर लड़ा.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद अब कांग्रेस मुख्यमंत्री की ताजपोशी की तैयारी में जुट गई है. आजाद भारत में पहली बार नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्यों ने कर्नाटक में चुनाव के लिए प्रचार किया है. कर्नाटक में पार्टी ने बीजेपी के एक नारे को हथियार बनाया और यही कांग्रेस के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हुआ. दरअसल, कांग्रेस ने पूरा चुनाव लोकल फॉर वोकल एजेंडे पर लड़ा. इसी के चलते दक्षिण भारत में बीजेपी के एकमात्र गढ़ रहे कर्नाटक में कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की. ये नारा पीएम मोदी ने अपने भाषण में दिया था, जिसका उद्देश्य स्वदेशी प्रोडेक्ट्स को बढ़ावा देना है.
कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव प्रचार से पहले अपनी कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी में बदलाव किया. इस दौरान पार्टी ने तय किया कि वह बीजेपी की राह पर न चलकर यानी धर्म और राष्ट्रवाद पर नहीं बल्कि लोकल मुद्दों को अपने प्रचार में शामिल करेगी. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने लोक फॉर वोकल की पिच पर खेलते हुए राज्य के लोगों की आम समस्याओं को अपना हथियार बनाया और प्रत्येक भाषण में इन्हीं पर चर्चा की.
इसके बाद कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व सीएम सिद्धारमैया, मेनिफेस्टो कमेटी के प्रमुख जी परमेश्वरन और राज्य प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक और रणनीति तैयार की. इसमें तय हुआ कि राज्य के बीजेपी नेताओं की विश्वसनीयता पर वार किया जाए, कर्नाटक को आगे बढ़ाने पर चर्चा और केंद्र के मुद्दे जैसे अडानी, चीन, लोकतंत्र पर हमला आदि को दूर रखा जाए. इस पर काम करते हुए कांग्रेस ने सबसे पहले 'PayCM' और '40 प्रतिशत सरकार' जैसे अभियानों के साथ बीजेपी की बोम्मई सरकार को 'भ्रष्ट' बताने का काम शुरू किया.
कर्नाटक में कांग्रेस ने दी 5 गारंटी
पार्टी ने चुनावी प्रचार के दौरान पांच गारंटी दीं. इनमें गृह लक्ष्मी, युवा निधि, अन्न भाग्य, गृह ज्योति और सखी कार्यक्रम शामिल हैं. इन गारंटियों ने मतदाताओं को यह समझने में मदद की कि कांग्रेस की जीत पर उन्हें बदले में क्या मिलेगा. इसके साथ ही कांग्रेस ने बहुत चालाकी से स्थानीय मुद्दों को चुना, जहां बीजेपी लड़खड़ा गई और तुरंत अमूल बनाम नंदिनी जैसे मुद्दों को कन्नडिगा (कर्नाटक के लोग) के गौरव से जोड़ दिया और बीजेपी पर कथित रूप से लिंगायत समुदाय का अपमान करने का आरोप भी लग दिया.
कांग्रेस नेताओं को मिली नई उम्मीद
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