
'कर्नाटक दिवालिया नहीं, अर्थव्यवस्था स्थिर', सिद्धारमैया ने खारिज किए बीजेपी के दावे
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सीएम सिद्धारमैया ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कर्नाटक के वित्तीय संसाधन रोकने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य को कर राजस्व से 73,000 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन केवल 51,000 करोड़ रुपये ही मिले.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विपक्षी नेताओं के उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिनमें राज्य को आर्थिक संकट में बताया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र और पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई समेत भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि राज्य दिवालिया होने की कगार पर है और वित्तीय व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. उन्होंने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की भी आलोचना की है. सिद्धारमैया ने इसके जवाब में कहा कि भाजपा के शासनकाल में राज्य की अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पहुंच गई थी. अब विपक्ष में बैठकर वे खुद को बड़े अर्थशास्त्री बता रहे हैं.
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि हमारी सरकार भाजपा की गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियों से हुए अव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. मुख्यमंत्री ने पूर्व भाजपा सरकार की अनियमितताओं का हवाला देते हुए कहा कि 31 मार्च 2023 तक, भाजपा सरकार ने लोक निर्माण, जल संसाधन और आवास सहित विभिन्न विभागों में 2,70,695 करोड़ रुपये की लंबित देनदारियां छोड़ी थीं. इसके अलावा बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोष से 1,66,426 करोड़ रुपये की परियोजनाएं बिना उचित वित्तीय योजना के स्वीकृत कर दी गई थीं.
केंद्र सरकार पर वित्तीय भेदभाव का आरोप सीएम सिद्धारमैया ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कर्नाटक के वित्तीय संसाधन रोकने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य को कर राजस्व से 73,000 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन केवल 51,000 करोड़ रुपये ही मिले. इसके अलावा, जीएसटी नुकसान की भरपाई भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी, जिससे राज्य को हर साल 18,000-20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
कर्नाटक की अर्थव्यवस्था स्थिर
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इन चुनौतियों के बावजूद कर्नाटक की अर्थव्यवस्था स्थिर है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल में राज्य के बजट की औसत वृद्धि दर 18.3% रही है, जबकि भाजपा शासन के चार वर्षों में यह मात्र 5% थी. उन्होंने बताया कि कर राजस्व वृद्धि भी उनकी सरकार के कार्यकाल में अधिक रही है और राज्य हर साल 90,000 करोड़ रुपये की धनराशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और सब्सिडी योजनाओं पर खर्च कर रहा है.
केंद्र सरकार पर सार्वजनिक ऋण बढ़ाने का आरोप

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